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सरकारी विद्यालयों में डीएम, थानेदार के नंबर लिखवाना अनिवार्य:स्कूलों में आपात स्थिति से निपटने में तत्परता लाना उद्देश्य, पेरेंट्स अधिकारियों तक पहुंचा सकेंगे शिकायतें

शिक्षा विभाग ने नालन्दा समेत प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब सभी सरकारी स्कूलों में जिलाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, स्थानीय थानेदार, फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस सेवा के मोबाइल नंबर पेंटिंग के माध्यम से दीवारों पर प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया गया है। विभाग के इस निर्णय का उद्देश्य विद्यालयों में किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने में तत्परता लाना है। साथ ही, छात्र, शिक्षक और अभिभावक शिक्षा से जुड़ी किसी भी समस्या की शिकायत सीधे संबंधित अधिकारियों तक पहुंचा सकेंगे। यह व्यवस्था न केवल आपदा प्रबंधन में सहायक होगी, बल्कि शिक्षण कार्य में पारदर्शिता भी सुनिश्चित करेगी। मध्याह्न भोजन में भी बढ़ेगी जवाबदेही* बच्चों को गुणवत्तापूर्ण मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने और इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी रोकने के लिए रसोईघर के बाहर पूरे सप्ताह का मेनू भी पेंटिंग से लिखवाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, विद्यालय के बरामदे पर स्कूल का नाम और यू-डायस कोड भी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना होगा। इससे अभिभावकों को यह जानकारी मिल सकेगी कि उनके बच्चों को क्या भोजन परोसा जा रहा है। साढ़े नौ करोड़ की विकास राशि का वितरण जिले के 2,166 प्राथमिक विद्यालयों को छात्र संख्या के अनुपात में स्कूल विकास मद के तहत साढ़े नौ करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। जिन विद्यालयों में 101 से 250 छात्रों का नामांकन है, उन्हें 50-50 हजार रुपए की राशि उपलब्ध करायी गई है। यह राशि लगभग दो माह पूर्व विद्यालयों के खातों में भेजी जा चुकी है। खर्च के लिए जारी हुई विस्तृत गाइडलाइन समग्र शिक्षा अभियान के तहत कंपोजिट स्कूल ग्रांट की यह राशि विद्यालयों के समग्र विकास पर ही खर्च होनी चाहिए, इसके लिए शिक्षा विभाग ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विद्यालयों में निगरानी कार्य, रंगरोगन, पेंटिंग, फर्स्ट एड बॉक्स, अग्निशमन यंत्र, स्टेशनरी और दरी की खरीदारी जैसे कार्यों में यह धनराशि व्यय की जा सकेगी। फर्स्ट एड किट रखना होगा अनिवार्य सभी विद्यालयों में प्राथमिक चिकित्सा किट रखना अब अनिवार्य कर दिया गया है। इस किट में रुई, मेडिकल टेप, क्रेप बैंडेज, मरहम पट्टी, थर्मामीटर, कैंची, दस्ताने, दर्दनिवारक दवा, पेरासिटामॉल, पेट दर्द और गैस की दवाई, गर्म पानी की बोतल तथा अन्य आवश्यक दवाइयां रखी जानी चाहिए। विद्यालयों में मौजूद मरम्मत योग्य सामान जैसे कुर्सी, मेज, झूला, हैंडपंप, ब्लैकबोर्ड, फर्श का आंशिक प्लास्टर और स्मार्ट क्लास के रखरखाव पर भी इस राशि का उपयोग किया जा सकेगा। संसाधन केंद्रों को भी मिलेगा विकास अनुदान प्राथमिक विद्यालयों के साथ-साथ संकुल संसाधन केंद्रों (सीआरसी) के विकास के लिए भी प्रत्येक केंद्र को 43 हजार रुपए आवंटित किए गए हैं। जिले के 267 सीआरसी को कुल 11 करोड़ 48 लाख रुपए भेजे गए हैं। इसके अलावा, प्रखंड संसाधन केंद्रों (बीआरसी) को भी दो-दो लाख रुपए की राशि उपलब्ध करायी गई है। गड़बड़ी पर होगी कड़ी कार्रवाई जिला शिक्षा पदाधिकारी आनंद विजय ने स्पष्ट किया कि सरकारी विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ निर्धारित मेनू के अनुसार मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विद्यालय विकास मद से खर्च की गई राशि की स्थलीय जांच करायी जाएगी और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


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