समस्तीपुर महासंघ भवन कार्यालय में पेंशनर दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर नई पेंशन प्रणाली (NPS) और पुरानी पेंशन प्रणाली (UPS) नीतियों का विरोध किया गया। कार्यक्रम का आयोजन बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ जिला शाखा समस्तीपुर और वरिष्ठ नागरिक संघ के तत्वाधान में हुआ। सभा की अध्यक्षता श्यामा कांत झा ने की, जबकि जिला मंत्री वीरेंद्र कुमार सिन्हा ने अतिथियों का स्वागत किया। मंच का संचालन पूर्व राज्याध्यक्ष श्री लक्ष्मी कांत झा ने किया। लक्ष्मी कांत झा के अनुरोध पर बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के पूर्व महामंत्री साथी मंजुल कुमार दास ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की तैयारी का आरोप मंजुल दास ने पेंशन के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वर्ष 1982 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पेंशन कर्मचारी का अधिकार है, यह कोई कृपा नहीं। इसी दिन से 17 दिसंबर को पेंशन दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को पलटने की तैयारी कर रही है। मंजुल दास ने 8वें वेतन आयोग के गठन पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जनवरी 2026 तक सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग के दायरे से बाहर रखा गया है। उन्होंने 44 श्रम संहिताओं को बदलकर 4 श्रम संहिताएं बनाने को मजदूरों पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि अब किसी कंपनी में स्थायी बहाली नहीं होगी और मालिक जब चाहेगा, कर्मचारी को निकाल सकता है। ‘अब 600 से कम कर्मचारियों पर कोई यूनियन बनाने का अधिकार नहीं रहा’ दास ने यह भी बताया कि पहले जहां 7 कर्मचारी कार्यरत होते थे, वहां संगठन बनाने का अधिकार था, लेकिन अब 600 से कम कर्मचारियों पर कोई यूनियन बनाने का अधिकार नहीं रहा। उन्होंने विशेष रूप से बिहार में ऐसी कोई फैक्ट्री न होने का जिक्र किया जहां 600 कर्मचारी काम करते हों। उन्होंने सभी पेंशनरों और वरिष्ठ नागरिकों से महासंघ के आगामी आंदोलनों में साथ देने की अपील की, ताकि वे अपने पेंशन अधिकार बचा सकें।
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