कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की संसदीय समिति ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को भारत के लिए 1971 के मुक्ति युद्ध के बाद की सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती बताया है। समिति ने कहा है कि हालात अराजकता में तो नहीं जाएंगे, लेकिन भारत को इसे बेहद सावधानी से संभालने की जरूरत है। समिति ने सरकार को कई अहम सिफारिशें भी सौंपी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में अशांति के पीछे इस्लामिक कट्टरपंथ का बढ़ना, चीन और पाकिस्तान का बढ़ता प्रभाव और शेख हसीना की अवामी लीग की राजनीतिक पकड़ का कमजोर होना मुख्य कारण हैं। समिति ने कहा कि 1971 की चुनौती अस्तित्व और मानवीय संकट से जुड़ी थी, जबकि मौजूदा हालात एक पीढ़ीगत बदलाव, राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन और भारत से दूर रणनीतिक झुकाव की ओर इशारा करते हैं। रिपोर्ट की बड़ी बातें… ढाका में बुधवार को भारत के खिलाफ प्रदर्शन हुआ बांग्लादेशी नेता ने भारत को धमकी दी थी BNP, जमात और कई अन्य संगठनों ने 5 अगस्त 2024 से अब तक भारतीय उच्चायोग की ओर 10 से ज्यादा लंबे मार्च आयोजित किए हैं। एनसीपी के नेता हसनत अब्दुल्लाह ने सोमवार को ढाका में एक रैली में कहा था कि अगर बांग्लादेश को अस्थिर करने की कोशिश की गई तो बदले की आग सीमाओं के पार फैल जाएगी। उन्होंने बिना भारत का नाम लिए कहा, “अगर आप हमें अस्थिर करने वालों को शरण दे रहे हैं, तो हम 7 सिस्टर्स के अलगाववादियों को भी शरण देंगे।” भारत ने बांग्लादेश हाई कमिश्नर को तलब किया भारत सरकार ने बुधवार को बांग्लादेश के हाई कमिश्नर रियाज हमिदुल्लाह को समन किया। यह कदम ढाका में भारतीय उच्चायोग को मिली एक हालिया धमकी के बाद उठाया गया था। भारत ने इस मामले पर बांग्लादेश सरकार के सामने औपचारिक रूप से अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। हालांकि भारत सरकार ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि धमकी किस तरह की थी या कहां से आई थी, लेकिन इसे एक गंभीर सुरक्षा चिंता के तौर पर देखा जा रहा है। अब जानिए भारत-बांग्लादेश के रिश्ते तनावपूर्ण कैसे हुए… शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के गिरने के बाद से भारत-बांग्लादेश के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं। 78 वर्षीय शेख हसीना पिछले साल अगस्त में तख्तापलट के बाद भारत आ गई थीं और तब से यहीं रह रही हैं। पिछले महीने बांग्लादेश की एक विशेष ट्राइब्यूनल ने उन्हें मानवता के खिलाफ अपराधों के मामले में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद से बांग्लादेश लगातार उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है। बांग्लादेश की मांग- शेख हसीना को सौंप दे बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने 14 दिसंबर को ढाका में भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया। बांग्लादेश ने भारत में रह रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बयानों को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। अधिकारिक बयान के बांग्लादेश ने चिंता जताते हुए कहा कि भारत सरकार एक फरार आरोपी को बयान देने की अनुमति दे रही है। बांग्लादेश का कहना है कि शेख हसीना के बयान भड़काऊ हैं और वे अपने समर्थकों से बांग्लादेश में हिंसक और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की अपील कर रही हैं। सरकार के मुताबिक, ऐसे बयान आगामी संसदीय चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश हैं। बांग्लादेश में 12 फरवरी को चुनाव होंगे बांग्लादेश में अगले साल 12 फरवरी को आम चुनाव होंगे। देश के मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम नासिरउद्दीन ने गुरुवार शाम इसका ऐलान किया। यह चुनाव पूर्व पीएम शेख हसीना के तख्तापलट के डेढ़ साल बाद हो रहा है। अब जानिए विदेश मामलों की संसदीय समिति क्या है….. विदेश मामलों की संसदीय समिति संसद की एक स्थायी समिति होती है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सांसद शामिल होते हैं। इसका काम भारत की विदेश नीति, पड़ोसी देशों से संबंध, अंतरराष्ट्रीय समझौते और विदेश मंत्रालय (MEA) के कामकाज की निगरानी करना होता है। यह समिति सरकार को सुझाव देती है, लेकिन सीधे फैसले नहीं लेती। वर्तमान में इसके अध्यक्ष शशि थरूर हैं। वहीं इसमें TMC सांसद अभिषेक बनर्जी, AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी समेत 30 सांसद सदस्य हैं।
समिति ने यह रिपोर्ट कैसे तैयार की… भारत–बांग्लादेश संबंधों पर बनी इस रिपोर्ट के लिए समिति ने कई चरणों में काम किया। सबसे पहले विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली गई। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के विशेषज्ञों से राय सुनी गई। समिति ने मौजूदा हालात, राजनीतिक बदलाव, सुरक्षा स्थिति और भारत के हितों पर पड़ने वाले असर का अध्ययन किया। इन सभी तथ्यों और चर्चाओं के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर संसद में पेश की गई। सरल शब्दों में कहें तो यह रिपोर्ट सरकारी जानकारी, विशेषज्ञों की राय और सांसदों के अध्ययन का नतीजा है, जिसका मकसद सरकार को सही दिशा में नीति बनाने में मदद करना है। ———————–
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