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संविधान दिवस आज:पहले भी था सबको समान अधिकार- स्पेशल लॉ का प्रावधान, देश के संविधान में ग्वालियर की दरबार पॉलिसी से भी कई प्रावधान

देश में आज संविधान दिवस मनाया जा रहा है। देश के संविधान में तत्कालीन ग्वालियर (मध्य प्रदेश) रियासत की दरबार पॉलिसी (1923) यानी तत्कालीन समय का संविधान शामिल है। इसकी मूल भावना को केंद्र में रखकर उस समय कानून भी बनाए गए। देश आजादी से भी कई साल पहले ग्वालियर रियासत के महाराजा माधवराव सिंधिया प्रथम के मार्गदर्शन में बने संविधान की चर्चा आज संविधान दिवस (26 नवंबर) पर इसलिए की जा रही है क्योंकि दरबार पॉलिसी और उस समय के कानून दूरदर्शी सोच के साथ बने थे। इसीलिए देश आजादी के बाद भी उनका महत्व बरकरार है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब देश का संविधान बना तो दरबार पॉलिसी के कई प्रावधानों को इसमें शामिल किया गया। ग्वालियर रियासत के समय के कानून आज भी फैले हैं। गौर करने वाली बात ये है कि जो कानून ग्वालियर रियासत में देश आजादी से पहले बन गए थे। ऐसे समझें केंद्र-राज्य और रियासत ग्वालियर के कानून ये प्रावधान भी देखिए… 26 नवंबर 1949 को लागू क्यों नहीं हुआ था संविधान? संविधान सभा ने 2 साल 11 महीने और 17 दिन की कड़ी मेहनत के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान एडॉप्ट किया था। हालांकि, कानूनी रूप से इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया, जिस दिन हम सब रिपब्लिक डे मनाते हैं। भारत के संविधान की मूल अंग्रेजी कॉपी में 1 लाख 17 हजार 369 शब्द हैं। जिसमें 444 आर्टिकल, 22 भाग और 12 अनुसूचियां हैं। 26 जनवरी, 1930 को कांग्रेस ने देश की पूर्ण आजादी का नारा दिया था। इसी की याद में संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी, 1950 तक इंतजार किया गया। 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पहली बार पूर्ण स्वराज की शपथ ली गई थी। उस अधिवेशन में अंग्रेज सरकार से मांग की गई थी कि भारत को 26 जनवरी, 1930 तक संप्रभु दर्जा दे दिया जाए। फिर 26 जनवरी, 1930 को पहली बार पूर्ण स्वराज या स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। इसके बाद 15 अगस्त, 1947 तक यानी अगले 17 सालों तक 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता रहा। इस दिन के महत्व की वजह से 1950 में 26 जनवरी को देश का संविधान लागू किया गया और इसे गणतंत्र दिवस घोषित किया गया। प्रेम बिहारी ने हाथ से लिखी संविधान की मूल कॉपी डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा का अध्यक्ष होने के नाते संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है। मगर प्रेम बिहारी वे शख्स हैं जिन्होंने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी यानी पांडुलिपि लिखी थी। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने खुद कैलीग्राफर प्रेम बिहारी से संविधान की मूल कॉपी लिखने की गुजारिश की थी। प्रेम बिहारी ने न केवल इसे स्वीकार किया था बल्कि इसके बदले फीस लेने से भी इनकार किया था। संविधान को हाथ से लिखने में प्रेम बिहारी को 6 महीने लगे थे। इस दौरान 432 निब घिस गईं थीं। प्रेम बिहारी को संविधान हाल में एक कमरा दिया गया, जो बाद में संविधान क्लब हो गया। भारत का संविधान दुनिया में अकेला है, जिसके हर भाग में चित्रकारी इसमें राम-सीता से लेकर अकबर और टीपू सुल्तान तक के चित्र हैं। इन्हें शांति निकेतन के नंदलाल बोस की अगुआई वाली टीम ने अपनी कला से सजाया। उनके भी नाम संविधान की मूल कॉपी में लिखे हैं। संविधान की हिंदी कॉपी कैलीग्राफर वसंत कृष्ण वैद्य ने हाथ से लिखी है। इसका कागज अलग है। इसे हैंडमेड पेपर रिसर्च सेंटर पुणे में बनाया गया है। संविधान की हिंदी कॉपी में 264 पन्ने हैं, जिसका वजन 14 किलोग्राम है। …………………….. भारतीय संविधान से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… भास्कर एक्सप्लेनर- संविधान लिखने में 432 निब घिस गईं: मूल कॉपी का वजन 13 किलो, नाइट्रोजन चैंबर में क्यों रखा गया है क्या आप जानते हैं कि हमारा संविधान किसने लिखा? कुछ लोगों के मन में डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम आएगा, जबकि इस इस सवाल का सही जवाब प्रेम बिहारी नारायण रायजादा हैं। डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सभा का अध्यक्ष होने के नाते संविधान निर्माता होने का श्रेय दिया जाता है, मगर प्रेम बिहारी वे शख्स हैं जिन्होंने अपने हाथ से अंग्रेजी में संविधान की मूल कॉपी यानी पांडुलिपि लिखी थी। इस काम में उन्हें 6 महीने लगे और कुल 432 निब घिस गईं। पूरी खबर पढ़ें…


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