सरस्वती का उदगम, उसका प्रवाह भारतीय जनमानस को आकर्षित करता रहा है. कुछ स्वयंसेवकों ने प्राचीन ग्रंथों में वर्णित पवित्र सरस्वती नदी की खोज में दिलचस्पी दिखाई. जिस सरस्वती को संगम में लुप्त बताया जाता रहा है, वो उसके प्रवाह का रास्ता जानना चाहते थे. इस काम में मोरेश्वर नीलकंठ पिंगले और दर्शन लाल जैन ने भगीरथ कोशिश की. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है वही कहानी.
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