नाना पालकर, श्रीपाद सातवलेकर, रंगा हरि, हो वे शेषाद्रि… ये कुछ ऐसे नाम हैं जिन्हें संघ साहित्य का अग्रदूत माना जाता है. इन विचारकों ने इतिहास पर जमी उपनिवेशवाद की धूल को झाड़ा और भारत की कहानी को भारत के नजरिये से दुनिया के सामने प्रस्तुत किया. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उन्हीं विचारकों की कहानी.
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