बिहार प्रशासनिक सेवा की अधिकारी श्वेता मिश्रा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आय से अधिक संपत्ति मामले में विशेष निगरानी इकाई (SVU) पटना उच्च न्यायालय की ओर से प्राथमिकी रद्द करने के फैसले को चुनौती देगी और सुप्रीम कोर्ट जाएगी। SVU का दावा है कि उनके पास श्वेता मिश्रा के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। 2011 बैच की बिहार प्रशासनिक सेवा की अधिकारी श्वेता मिश्रा वर्तमान में कटिहार के मनिहारी में अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के पद पर तैनात हैं। उन पर आय के ज्ञात स्रोतों से दो से तीन गुना अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। जांच में उनके पास 80 लाख रुपए से अधिक की अवैध संपत्ति होने के संकेत मिले थे। अवैध तरीके से संपत्ति जमा करने का आरोप विशेष निगरानी इकाई (SVU) को मिली गोपनीय सूचना के आधार पर प्रारंभिक जांच शुरू की गई थी। इसमें सामने आया कि 2011 में उप समाहर्त्ता के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से 14 साल के सेवाकाल में उन्होंने कथित तौर पर अवैध तरीके से भारी संपत्ति जमा की है। जांच रिपोर्ट के अनुसार, श्वेता मिश्रा को नौकरी के दौरान वेतन और अन्य भत्तों के रूप में लगभग 95 लाख रुपए हासिल हुए थे। इसमें से अनुमानित खर्च घटाने के बाद उनकी संभावित बचत 56.20 लाख रुपए होनी चाहिए थी। हालांकि, उनके और उनके परिजनों के नाम पर 1.36 करोड़ रुपए से अधिक की चल-अचल संपत्ति पाई गई। इस आधार पर उनके विरुद्ध लगभग 80.11 लाख रुपए की अप्रत्याशित संपत्ति का आरोप स्थापित हुआ। विशेष निगरानी इकाई (SVU) ने 5 जून को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पटना और इलाहाबाद सहित चार ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। इन छापों में 22,44,500 रुपए नकद, 16,74,900 रुपए के गहने और भारी निवेश से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए थे।
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