शेखपुरा के गिरिहिंडा स्थित जिला पशुपालन कार्यालय परिसर में समेकित सुकर विकास योजना के तहत लाभार्थियों को सूअर वितरित किए गए। इस योजना से 15 अनुसूचित जाति एवं जनजाति परिवारों को लाभान्वित किया गया है। दो मादा और एक नर सूअर दिए गए कार्यक्रम में जिला पशुपालन पदाधिकारी राजीव कुमार सिन्हा ने स्वयं लाभार्थियों को सूअर उपलब्ध कराए। प्रत्येक लाभार्थी को दो मादा और एक नर सूअर दिया गया, ताकि वे वैज्ञानिक तरीके से सूकर पालन कर अपनी आय बढ़ा सकें। सूकर पालन कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय इस अवसर पर जिला पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति परिवारों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना और उनकी आय को दोगुना करना है। उन्होंने कहा कि सूकर पालन कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं। योजना की कुल लागत 21,060 रुपये प्रति इकाई उन्होंने यह भी बताया कि इस योजना की कुल लागत 21,060 रुपये प्रति इकाई है। इसमें राज्य सरकार द्वारा 90 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है, जिसके तहत लाभार्थियों को 18,954 रुपये की अनुदान राशि मिली। लाभार्थियों को मात्र 2,106 रुपये स्वयं वहन करने पड़े। इसके साथ ही, लाभुकों को इंश्योरेंस (बीमा) सुविधा का लाभ भी प्रदान किया गया है, ताकि आकस्मिक नुकसान की स्थिति में उन्हें सुरक्षा मिल सके। गौरतलब है कि वर्तमान समय में सूकर पालन तेजी से उभरता हुआ व्यवसाय बनता जा रहा है। कम पूंजी में बेहतर मुनाफा मिलने के कारण यह गरीब एवं मध्यम वर्ग के लिए रोजगार का एक सशक्त माध्यम है। योजना से लाभार्थियों को मिलेगा लाभ सूअर के मांस की मांग न केवल देश के विभिन्न हिस्सों में, बल्कि विदेशों में भी लगातार बढ़ रही है। इसी को देखते हुए राज्य सरकार इस व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है। कार्यक्रम के दौरान लाभार्थियों में खासा उत्साह देखा गया। उन्होंने सरकार और पशुपालन विभाग के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस योजना से उन्हें स्थायी आय का साधन मिलेगा और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
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