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शिवानंद तिवारी बोले- लालू तेजस्वी के असली गुरु नहीं:तेजस्वी यादव को रणछोड़ कहा, बोले- हार के बाद गायब हो गए, सहयोगियों को अकेला छोड़ दिया

राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने सोशल मीडिया के माध्यम से तेजस्वी यादव पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट पर तेजस्वी यादव को रणछोड़ कहा है। इस पोस्ट में उन्होंने तेजस्वी यादव की हालिया राजनीतिक भूमिका, चुनाव बाद उनके व्यवहार और पार्टी संचालन की शैली पर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पोस्ट की शुरुआत में शिवानंद तिवारी ने अपने जन्मदिन (9 दिसंबर) और अपनी नातिन शाएबा के विवाह का जिक्र किया। संयोगवश, 9 दिसंबर 2021 को तेजस्वी यादव का भी विवाह हुआ था। इसी कड़ी में उन्होंने बताया कि निजी संबंधों के बावजूद वे लालू परिवार से “कुछ अलग-थलग” महसूस कर रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने तेजस्वी को संदेश भेजकर शुभकामनाएं दीं, जिसका जवाब तेजस्वी ने सिर्फ एक 🙏 इमोजी से दिया। तेजस्वी ने चुनाव बाद मैदान छोड़ दिया– तिवारी का आरोप अपनी लंबी टिप्पणी में शिवानंद तिवारी ने तेजस्वी यादव के राजनीतिक व्यवहार को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा कि तेजस्वी विपक्ष के नेता के रूप में उभरे, लेकिन परिणाम आने के बाद दो दिन भी मैदान में नहीं टिक पाए। हार के बाद नेता की सबसे बड़ी भूमिका अपने साथियों का हौसला बनाए रखने की होती है, लेकिन उन्होंने सहयोगियों को अकेला छोड़ दिया। विपक्ष के नेता होते हुए भी तेजस्वी चुनाव बाद गायब हो गए। यह नेतृत्व क्षमता पर गंभीर सवाल है। लालू प्रसाद का संदर्भ, और तेजस्वी को कड़ी सीख तिवारी ने तेजस्वी पर यह भी कहा कि उन्हें अपने पिता लालू यादव से राजनीतिक प्रशिक्षण लेने की बहुत सीमित गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि लालू जी को 1990 में ‘न भूतो न भविष्यति’ जैसा जनसमर्थन मिला था, लेकिन देखते-देखते सब बिखर गया। अब पार्टी की कमान तेजस्वी के हाथ में है, ऐसे में उन्हें अपनी गलतियों को गंभीरता से देखना चाहिए। पार्टी में गलत लोगों की मौजूदगी का मुद्दा शिवानंद तिवारी ने संगठन में चापलूसों और गलत सलाहकारों की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि संजय और जगता भाई ने तेजस्वी की आँखों पर पट्टी बांध रखी थी। खूब हरियाली दिखाई, और बदले में खूब हासिल भी कर लिया। नेता को सच्चाई सुननी चाहिए, लेकिन उनके आसपास सिर्फ वही लोग जमा हो गए जो उन्हें वही बताते थे जो वे सुनना चाहते थे। उन्होंने आगे लिखा कि राजद कार्यालय में चल रही समीक्षा बैठकों में मंगनीलाल जी जैसे लोग ही सच बोलते हैं और कार्यकर्ताओं के साथ खड़े रहते हैं। कार्यकर्ता की तरह घूमो, साहब की तरह नहीं- भविष्य के लिए सलाह शिवानंद तिवारी ने तेजस्वी यादव को एक ठोस राजनीतिक सलाह देते हुए लिखा कि अगर भविष्य बचाना है तो तुरंत बिहार लौटो। नेता की तरह नहीं, कार्यकर्ता की तरह गाँव-कस्बों में जाओ। साहब मत बनो, कार्यकर्ताओं से बराबरी से मिलो। उन्होंने चेताया कि राजनीति में समय किसी का इंतज़ार नहीं करता। तेजस्वी की विचारधारा और टिकट वितरण पर भी सवाल तिवारी ने कहा कि राजद जिन सिद्धांतों की घोषणा करती है, वे टिकट वितरण और संगठन में दिखाई नहीं देते। विधान परिषद, राज्यसभा और विधानसभा की सूची देखें — क्या समाज के कमजोर तबकों को न्याय मिला? अगर आप उन्हें जगह नहीं देंगे, तो उनके समर्थन की उम्मीद किस आधार पर करेंगे? पारिवारिक संबंधों और राजनीतिक दूरी का संयोजन पोस्ट का भावनात्मक हिस्सा यह था कि निजी संबंध होने के बावजूद तिवारी ने तेजस्वी को उसी दिन शुभकामनाएँ दीं जिस दिन उनकी नातिन का विवाह हुआ था। लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि राजनीतिक रूप से वे लालू परिवार से दूरी महसूस कर रहे हैं।


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