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शिवहर न्यायालय में संविधान दिवस मनाया गया:जिला जज ने कर्मियों को संविधान का सम्मान करने की शपथ दिलाई

शिवहर जिला व्यवहार न्यायालय के सभा कक्ष में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष व जिला एवं सत्र न्यायाधीश उदयवंत कुमार की अध्यक्षता में संविधान दिवस मनाया गया। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव ललन कुमार सहित न्याय कर्मियों और पदाधिकारियों को शपथ दिलाई गई। जिला जज उदयवंत कुमार ने इस अवसर पर कहा कि हमारा संविधान मानवीय गरिमा, समानता और स्वतंत्रता को सर्वोच्च महत्व देता है। उन्होंने जोर दिया कि संविधान हमें अधिकारों से सशक्त करने के साथ-साथ नागरिक के रूप में हमारे कर्तव्यों की भी याद दिलाता है, जिन्हें हमें सदैव निभाने का प्रयास करना चाहिए। संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि का अवसर उन्होंने बताया कि देशभर में 76वां राष्ट्रीय संविधान दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन हमें अपने संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर देता है, जिनकी दूरदर्शिता एक विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रेरित करती है। दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधान में शामिल वहीं जिला जज ने यह भी बताया कि 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को औपचारिक रूप से स्वीकार किया गया था, जिसके कारण इस दिन को संविधान दिवस घोषित किया गया। संविधान सभा को इसे तैयार करने में 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। यह दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधान में से एक है, जिसे पूरी तरह से हाथ से हिंदी और अंग्रेजी में लिखा गया था। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव सह न्यायाधीश ललन कुमार ने नागरिकों के मूल कर्तव्यों पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि संविधान, उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करना हमारा मूल कर्तव्य है। यह बात उन्होंने जिला व्यवहार न्यायालय के विधिक सेवा प्राधिकार के कक्ष में उपस्थित पीएलबी (पैरा-लीगल वालंटियर्स) को संबोधित करते हुए कही। सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा और अहिंसा का पालन आवश्यक न्यायाधीश कुमार ने आगे कहा कि भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना तथा उसे अक्षुण्ण रखना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। उन्होंने सभी लोगों में समरसता और समान भाईचारे की भावना के निर्माण पर भी बल दिया। उन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखने और हिंसा से दूर रहने का आह्वान किया। न्यायाधीश ने हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा के महत्व को समझने और उसके संरक्षण पर भी जोर दिया। ललन कुमार ने यह भी बताया कि लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता हमारा मूल अधिकार है। इसके अतिरिक्त, मौलिक अधिकारों को परिवर्तित कराने के लिए उपचार प्राप्त करना भी हमारा मूल अधिकार है।


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