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शिवहर जेल में मानवाधिकार दिवस पर कार्यक्रम:बंदियों को अधिकारों और पुनर्वास के प्रति जागरूक किया गया

शिवहर मंडल कारा में मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव ललन कुमार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अपर समाहर्ता श्री मेधावी, जेल अधीक्षक राकेश कुमार, वरीय उपसमाहर्ता श्वेता सुमन और जिला कृषि पदाधिकारी प्रीति कुमारी सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे। कैदियों के कानूनी अधिकारों पर ज़ोर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव ललन कुमार ने बताया कि 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस पर आयोजित यह कार्यक्रम मुख्य रूप से कैदियों के कानूनी अधिकारों, गरिमा और सुधार पर केंद्रित था। उन्होंने कहा कि बिहार मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (BSLSA) जैसे संगठन कैदियों को मुफ्त कानूनी सहायता, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और कौशल प्रशिक्षण जैसे पुनर्वास के अवसरों के बारे में जानकारी देते हैं। इसका उद्देश्य उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करना और जेलों में भीड़भाड़ या खराब स्वास्थ्य व्यवस्था जैसे मानवाधिकार हनन के मुद्दों को उठाना है। मुफ्त कानूनी सहायता और मानसिक हेल्थ पर ध्यान अपर समाहर्ता श्री मेधावी ने कैदियों को उनके मौलिक अधिकारों, विशेषकर मुफ्त कानूनी सहायता (NALSA हेल्पलाइन 15100) प्राप्त करने के अधिकार के बारे में बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न्याय और समानता सुनिश्चित करने के लिए इन अधिकारों की जानकारी आवश्यक है। श्री मेधावी ने कैदियों के मानसिक हेल्थ पर भी ध्यान केंद्रित करने की बात कही, जिसमें मनोचिकित्सकों के नियमित दौरे और मानसिक बीमारियों की शीघ्र पहचान व उपचार की व्यवस्था शामिल है। सामुदायिक भागीदारी से सशक्तिकरण जेल अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से कैदियों को समाज में सम्मानजनक जीवन जीने के लिए सशक्त बनाने पर जोर दिया जाता है। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की सिफारिशों का भी उल्लेख किया, जिसमें जेलों में भीड़भाड़ कम करना, औपनिवेशिक कानूनों में बदलाव और विजिटर्स बोर्ड जैसी संस्थाओं को पुनर्जीवित करना शामिल है, ताकि मानवाधिकारों का उल्लंघन रोका जा सके। महिला कैदियों के अधिकारों पर विशेष ध्यान लीगल एंड डिफेंस काउंसिल शिवहर के अधिवक्ता सुबोध सिंह ने महिला कैदियों के अधिकारों पर विशेष ध्यान देने की बात कही। उन्होंने बताया कि शोषण या दुर्व्यवहार की रिपोर्ट पर तत्काल सुरक्षा, परामर्श और स्वतंत्र जांच सुनिश्चित की जानी चाहिए।


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