भास्कर न्यूज| शिवहर जिले में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही और सूचना छिपाने की साजिश का खुलासा राज्य सूचना आयोग के आदेश से हुआ है। जिले के संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों एवं गैर-शिक्षण कर्मियों के स्वीकृत और रिक्त पदों की जानकारी चार वर्षों तक दबाकर रखी गई। राज्य सूचना आयोग ने इस गंभीर चूक को सूचना अधिकार कानून का खुला उल्लंघन मानते हुए डीईओ को कड़ी चेतावनी जारी की है। शिवहर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता मुकुंद प्रकाश मिश्र द्वारा वर्ष 2021 में दायर आरटीआई आवेदन में जिले के सभी संस्कृत विद्यालयों की वास्तविक स्थिति-कितने पद स्वीकृत हैं, कितने भरे हुए हैं और कितने वर्षों से खाली पड़े हैं-इसकी स्पष्ट जानकारी मांगी गई थी। लेकिन, शिक्षा विभाग ने न तो समय पर जवाब दिया और न ही बाद की अपीलों को गंभीरता से लिया। सूचना आयोग की सुनवाई में यह तथ्य सामने आया कि सूचना चार साल तक लंबित रखी गई, जो न केवल कानून की अवहेलना है, बल्कि यह संदेह भी पैदा करता है कि कहीं रिक्त पदों की वास्तविक संख्या छिपाने का प्रयास तो नहीं किया गया। आयोग ने साफ शब्दों में कहा कि यह व्यवहार गंभीर प्रशासनिक लापरवाही की श्रेणी में आता है। आयोग ने डीईओ को निर्देश दिया है कि संबंधित लोक सूचना पदाधिकारी को तत्काल लिखित चेतावनी दी जाए और भविष्य में किसी भी आरटीआई आवेदन को लंबित न रखा जाए। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आगे ऐसी लापरवाही सामने आई तो सूचना अधिकार अधिनियम की धारा-20 के तहत आर्थिक दंड और विभागीय कार्रवाई तय है।
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