विश्व के नेताओं के हाव-भाव कैसे हैं, उनकी बॉडी लैंग्वेज, बयानों की निरंतरता, कथनी-करनी में क्या समानता है, इन सवालों के जवाब सटीक ढंग डीकोड करने के लिए विदेश मंत्रालय लीडरशिप एनालिसिस फ्रेमवर्क तैयार कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस सॉफ्ट कूटनीतिक हथियार से दूसरे देशों से भारत के संबंधों की राह तय करने में आसानी होगी। देश के नेतृत्व को भी इनके साथ व्यवहार करने में आसानी होगी। इस फ्रेमवर्क में उन नेताओं की बिहेवियर प्रोफाइलिंग हो रही है, जिनका भविष्य में भारत से नजदीकी सरोकार हो सकता है। इनमें डोनाल्ड ट्रम्प, व्लादिमीर पुतिन, शी जिनपिंग आदि शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि भारत में 2023 में हुए जी20 के शिखर सम्मेलन के वीडियो भंडार से इस काम में काफी मदद मिली है, जहां से सिर्फ नेताओं के नहीं बल्कि उनके सहयोगी अधिकारियों और सलाहकारों के बारे में भी अपार डेटा उपलब्ध हुआ। प्रोफाइलिंग के लिए विभिन्न देशों में भारतीय दूतावास की फील्ड रिपोर्ट्स, वीडियो आर्काइवस, भाषण वीडियो, लीडर्स की सोशल मीडिया अपडेट्स और एआई आधारित एनालिसिस से प्रोफाइलिंग की बुनियाद रखी जा रही है। बयानों की निरंतरता का आकलन किया जा रहा है। मूल रूप से देखा जा रहा है कि बयान और लीडर के एक्शन में कितना फर्क या समानता है। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और चीन शुरुआत कर चुके लीडर के माइक्रो एक्सप्रेशन की रिकॉर्डिंग भी हो रही
प्रोफाइलिंग के लिए इन नेताओं की माइक्रो एक्सप्रेशन की रिकॉर्डिंग भी की जा रही है। इसमें देखा जाता है कि हाव-भाव सहज, सरल या आक्रामक या संशय पूर्ण हैं। जी-20 के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिस्सेदारी वाले अन्य बहुपक्षीय मंचों जैसे जी-7, ब्रिक्स, क्वाड, ईस्ट एशिया एवं आसियान शिखर सम्मेलनों के माइक्रो एक्सप्रेशन एकत्र किए गए हैं। इन लीडर्स का साइको पॉलिटिकल असेसमेंट भी हो रहा है, ताकि संवाद के समय भारतीय पक्ष और तैयारी के साथ मजबूती से पेश आए। प्रोफाइलिंग बसे बड़ा कूटनीतिक हथियार पूर्व राजनयिक दीपक वोरा ने कहा कि इससे हमारे नेतृत्व को कहने और करने में आसानी होगी। वैश्विक नेताओं की प्रोफाइलिंग आज के समय का सबसे बड़ा कूटनीतिक हथियार बन चुका है। इससे कूटनीतिक छल से बचा जा सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि कूटनीतिक बातचीत के समय आपका नेतृत्व सहज रहेगा। उन्होंने कहा कि अगर हमारे लीडर के दिमाग में यह साफ हो कि किसी देश का नेता जो बोल रहा है वह किस हद तक सिर्फ कहने और करने तक सीमित है तो निर्णय लेने में आसानी होगी। कुछ नेता जो कहते हैं वही करते हैं, कुछ जो कहते हैं उसका उल्टा करते हैं। जैसे ट्रम्प अनप्रिडिक्टेबल हैं तो शी जटिल-कुटिल और पुतिन सबसे भरोसेमंद शख्सियत हैं। …………………… AI से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… इंसानों की चापलूसी कर रहा AI:सही की बजाए वो जवाब दे रहा जो यूजर सुनना चाहता है; रिसर्च में सामने आई सच्चाई AI इंसानों की हां में हां मिलाने का काम कर रहा है। हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि AI मॉडल्स इंसानों से भी ज्यादा चापलूस हैं। यूजर्स के खतरनाक या चालाकी भरे व्यवहार को भी AI सही ठहरा रहा है। यह रिसर्च स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और कारनेजी मैल्लन यूनिवर्सिटी ने की है। इसमें एक टर्म ‘सोशल साइकोफैंसी’ दिया है। पूरी खबर पढ़ें…
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