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विराट रामायण मंदिर में विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग तैयार:33 फीट ऊंचा, 210 टन वजनी शिवलिंग तमिलनाडु से रवाना; पहुंचने में लगेंगे 45 दिन

पूर्वी चंपारण के कैथवाकी स्थित विराट रामायण मंदिर परिसर में विश्व का सबसे बड़ा शिव मंदिर तेजी से रूप ले रहा है। आचार्य किशोर कुणाल के निधन के बाद भी निर्माण कार्य निर्धारित रफ्तार से जारी है। इसी क्रम में मंदिर परिसर के लिए तैयार 33 फीट ऊंचा और 210 मीट्रिक टन वजनी विशाल शिवलिंग पूरी तरह बनकर तैयार हो चुका है। विधिवत पूजा के बाद 22 नवंबर को इसे तमिलनाडु के महाबलीपुरम से पूर्वी चंपारण के कौथवलिया के लिए रवाना कर दिया गया। एक ही ग्रेनाइट पत्थर से बना शिवलिंग, 10 सालों में हुआ निर्माण यह विशाल शिवलिंग एक ही ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित है, जिसकी निर्माण प्रक्रिया लगभग 10 सालों तक चली। इसे शिल्पकार लोकनाथ की टीम ने तराशा है। निर्माण करवाने वाली कंपनी के संस्थापक विनायक वेंकटरमण के अनुसार, इसके निर्माण में लगभग तीन करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। शिवलिंग को 106 चक्का वाले विशेष ट्रक से भेजा जा रहा है, जिसे पूर्वी चंपारण पहुंचने में 35 से 45 दिन लग सकते हैं। रास्ते में कई राज्यों और प्रमुख शहरों में शिवलिंग के स्वागत की तैयारियां की गई हैं। स्थापना के लिए स्थल तैयार विराट रामायण मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष ललन सिंह ने बताया कि शिवलिंग को स्थापित करने वाले प्लिंथ (आधार) का निर्माण पूरा हो चुका है। संभावना है कि जनवरी-फरवरी 2026 में शिवलिंग को विधिवत स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 33 फीट का यह शिवलिंग विश्व के सबसे बड़े विराट रामायण मंदिर की भव्यता को और बढ़ाएगा। मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम चरणों में, होगा बेहद भव्य मंदिर परिसर के कई हिस्सों- प्रवेश द्वार, गणेश स्थल, सिंह द्वार, नंदी स्थल, शिवलिंग मंच और गर्भगृह की पाइलिंग, का निर्माण पूरा हो चुका है। मंदिर का आकार बेहद विशाल होगा। यह 1080 फीट लंबा और 540 फीट चौड़ा बनाया जा रहा है। इसमें कुल 18 शिखर और 22 उप-मंदिर निर्माणाधीन हैं। मुख्य शिखर की ऊंचाई 270 फीट, चार शिखरों की ऊंचाई 180 फीट, एक शिखर की ऊंचाई 135 फीट, आठ शिखरों की ऊंचाई 108 फीट और एक शिखर की ऊंचाई 90 फीट निर्धारित है। निर्धारित समय में निर्माण पूरा करने की तैयारी बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद और महावीर मंदिर स्थान न्यास समिति के सचिव तथा आचार्य किशोर कुणाल के बेटे सायन कुणाल ने बताया कि निर्माण काम को समय पर पूरा करने के लिए लगातार प्रयास जारी हैं, ताकि बिहार में विश्व का सबसे बड़ा मंदिर स्थापित हो सके। एक वर्ष से अधिक समय में तेजी से बढ़ा निर्माण काम गौरतलब है कि 20 जून 2023 को शिलान्यास के साथ इस विशाल परियोजना का कार्य शुरू हुआ था, जो अब अंतिम चरणों की ओर तेजी से बढ़ रहा है।


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