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वाराणसी पुलिस ने पकड़ा फेक कॉल सेंटर:नौकरी के नाम पर युवाओं को झांसा दिया, साइबर पोर्टल ‘प्रतिबिंब’ पर शिकायत हुई थी

वाराणसी के आशापुर चौकी क्षेत्र की गणपत नगर कॉलोनी में पुलिस ने एक काल सेंटर का पर्दाफाश किया है। जिसमें बिहार, गोरखपुर, बलिया और अन्य जिलों के युवाओं को जॉब का झांसा देकर कॉल सेंटर का काम कराया जा रहा था। पुलिस ने सूचना पर यहां छापेमारी की तो 50 से अधिक युवा मिले जो इस काल सेंटर में काम कर रहे थे। पुलिस के अनुसार मुख्य आरोपी मौके पर नहीं मिला है। सभी से पूछताछ की जा रही। जिसके आधार पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। नेटवर्क मार्केटिंग के नाम पर कर रहे थे फ्रॉड डीसीपी वरुणा जोन प्रमोद कुमार ने बताया – प्रतिबिंब पोर्टल से हमें एक कंपलेन मिली थी कि कुछ लोग यहां काल सेंटर चला रहे हैं। जिससे ये जॉब ऑफर करके फ्रॉड कर रहे हैं। जब हमारी साइबर थाने की टीम और लोकल एसीपी और थाने की टीम ने इसपर वर्क किया तो इस कालोनी में RR मार्केटिंग पर छापेमारी की है। उन्होंने बताया कि ये नेटवर्क मार्केटिंग पर बेस्ड कल सेंटर था। जिसमें काल करके जॉब ऑफर किया जाता था। यहां पर टोटल 50 लोग मिले हैं। जिसमें जो मेन है रवि और रविंद्र वो दोनों मौके से भाग गए हैं। इन्ही के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाएगा। उनकी तलाश शुरू कर दी गयी है। बाकी कुछ मैनेजर को हिरासत में लिया गया है उनसे पूछताछ की जा रही है। पोर्टल प्रतिबिंब पर मिली थी शिकायत एसीपी सारनाथ विदुष सक्सेना ने बताया – फेक कल सेंटर चलाने वालों के खिलाफ वाराणसी साइबर क्राइम पुलिस एक अभियान चला रही है। इसी क्रम में सारनाथ थाना क्षेत्र के एक सेंटर था। जिसमें फेक जॉब के नाम पर लोगों को फंसाया जाता था। उनसे पैसे भी लिया जाता था और उनसे काल सेंटर की जॉब कराई जाती है। इसी क्रम में हाल में शुरू हुए साइबर क्राइम के पोर्टल प्रतिबिंब पर कुछ शिकायत मिली थी। उन्हें जब हमने ट्रेस किया तो यहां का पता हमें मिला। 10 से 50 हजार का था किट एसीपी सारनाथ ने बताया – हमने जब यहां आकर देखा तो यहां काफी लोग थे जो टेली कॉलिंग कर रहे थे। उनसे पूछताछ में सामने आया कि उन्हें भी जॉब के नाम पर यहां बुलाया गया रजिस्ट्रेशन के लिए 2800 रुपए जमा कराए गए और किट खरीदवाया गया। ये किट 10 हजार से 50 हजार रुपए के हैं। इनसे कहा गया कि यदि आप को जॉब चाहिए तो आप को और लोगों को भी हमसे जोड़ना होगा। उसके लिए तीन दिन की ट्रेनिंग भी दी गयी। सैलरी नहीं इंसेंटिव पर कर रहे थे युवा काम एसीपी विदुष सक्सेना ने बताया – हम मुकदमा दर्ज कर रहे हैं। मैनेजर और संचालकों पर इसके अलावा ज्यादातर विक्टिम हैं। जिसमें बनारस का कोई नहीं है। एसीपी ने बताया- ये लोग अगर कोई काम करने से मना करता तो उसे हैरेस करते थे। उनका सामान बंद कर देते थे। किट में शर्ट, पेंट और बेल्ट दी जाती थी। इसके अलावा किसी को कोई सेलेरी नहीं मिलती थी। उन्हें इंसेंटिव व्यक्ति को जोड़ने पर मिलता था।


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