रक्षा मंत्री एवं लखनऊ से सांसद राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कद उनके पदों से परिभाषित नहीं किया जा सकता, बल्कि उनके कर्मों और व्यक्तित्व से परिभाषित किया जा सकता है।
वाजपेयी की जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित एकल कवि सम्मेलन में सिंह ने कहा कि कुछ लोग अपने पदों की वजह से सम्मान पाते हैं, जबकि कुछ लोग बिना किसी पद के अपने कार्य और चरित्र की वजह से सम्मान पाते हैं।
उन्होंने कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी ऐसी ही शख्सियत थे।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि वाजपेयी असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे जिनकी जयंती की पूर्व संध्या पर लोग उन्हें याद करने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। यद्यिप वाजपेयी जी आज हमारे बीच नहीं हैं, उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए अब भी लोगों में भारी इच्छा है।
उन्होंने कहा, “सार्वजनिक जीवन में अशांति के बीच वाजपेयी हमेशा जीवंत और विनम्र रहते। सभी के प्रिय नेता के तौर पर वाजपेयी ने लोगों के मन मस्तिष्क पर एक गहरी छाप छोड़ी है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।”
वाजपेयी के छात्र जीवन को याद करते हुए सिंह ने कहा कि कक्षा 10 में पढ़ाई के दौरान वाजपेयी ने अपनी पहली लोकप्रिय कविता- “हिंदू तन मन, हिंदू जीवन, रग रग हिंदू मेरा परिचय” लिखी।
उन्होंने कहा कि यद्यपि उस उम्र का विद्यार्थी काफी युवा होता है, उस समय के कई प्रख्यात विद्वानों और बुद्धिजीवियों ने यह कविता सुनकर कहा था कि इसका लेखक कोई साधारण व्यक्ति नहीं है और वह भारत का भविष्य लिखेगा।
सिंह ने कहा कि 1942 में कालीचरण कॉलेज में लगे एक शिविर के दौरान वाजपेयी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख एम एस गोलवलकर की उपस्थिति में वह कविता पढ़ी थी और पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था।
रक्षा मंत्री ने कहा कि वह वाजपेयी के यह शब्द कभी नहीं भूल सकते कि छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।
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