DniNews.Live

Fast. Fresh. Sharp. Relevant News

वन्देमातरम् केवल गीत नहीं बल्कि राष्ट्र प्रथम के संकल्प का प्रतीक

भास्कर न्यूज | बक्सर सोमवार को दिल्ली के केशवकुंज, झंडेवालान स्थित केंद्रीय कार्यालय में वन्देमातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विशेष प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में भारत बोध, राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक गौरव के संदर्भ में वन्देमातरम् के महत्व को विस्तारपूर्वक प्रस्तुत किया गया। वक्ताओं ने कहा कि वन्देमातरम् केवल गीत नहीं बल्कि राष्ट्र प्रथम के संकल्प का प्रतीक है, जिसमें देश की आत्मा बसती है। कार्यक्रम में अपना विचार प्रस्तुत करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अखिलेश दुबे, जो संगठन केशवकुंज दिल्ली के उपाध्यक्ष भी हैं, ने बताया कि वन्देमातरम् भारत की अस्मिता, प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक चेतना और आत्म गौरव का अद्वितीय प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि “वन्देमातरम् एक मंत्र है, एक संकल्प है और राष्ट्रीय पहचान व गौरव का सर्वोच्च प्रतीक है।” अपने संबोधन में उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वर्ष 1937 में वन्देमातरम् की मूल पंक्तियों को हटाए जाने के परिणामस्वरूप 1947 में देश के विभाजन जैसे गंभीर परिणाम सामने आए, इसलिए इस गीत की मूल चेतना को समझना आज भी उतना ही आवश्यक है। कार्यक्रम में यह भी सूचना दी गई कि जल्द ही बक्सर में वन्देमातरम् के 150 वर्ष के उपलक्ष्य में एक सेमिनार आयोजित किया जाएगा, जिसमें वन्देमातरम् के साहित्यिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पक्षों पर विचार–विमर्श, मनन और संवाद होगा। यह सेमिनार युवाओं, बुद्धिजीवियों और समाज के विभिन्न वर्गों को एक साझा मंच देगा ताकि राष्ट्र प्रथम की भावना को और अधिक प्रखर किया जा सके।


https://ift.tt/wlqUaXP

🔗 Source:

Visit Original Article

📰 Curated by:

DNI News Live

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *