सिटी रिपोर्टर|मुजफ्फरपुर पश्चिमी चंपारण के लौरिया चीनी मिल से 997 बोरी चीनी घोटाले में निगरानी कोर्ट ने मिल के प्रशासन प्रमुख, लेखा अधिकारी और चार कर्मियों को दोषी ठहराया गया। केस में निगरानी ने 18 अधिकारियों व कर्मियों पर चार्जशीट की थी। तीन की मौत हो चुकी है, जबकि शेष 15 आरोपितों में से नौ फरार हैं। फरार आरोपितों पर स्थाई वारंट जारी है। छह को दोषी पाया गया है। मिल के प्रशासन प्रमुख रहे भोजपुर के आभर निवासी नंद कुमार सिंह, गोपालगंज के सिघवलिया निवासी लेखा पदाधिकारी अजय श्रीवास्तव, बेतिया के योगापट्टी बिक्री लिपिक लालबाबू प्रसाद, प्रबंध निदेशक के विशेष सहायक लखीसराय के पुरानी बाजार निवासी उमेश प्रसाद सिंह, लेखा लिपिक पूर्वी चंपारण के गोविंदगंज के सुनील श्रीवास्तव व मधुबन निवासी बिक्री प्रभारी धीरेंद्र झा को दोषी ठहराते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। जज दशरथ मिश्र ने सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 18 दिसंबर की तिथि निर्धारित की है। घोटाला सितंबर 1990 में सामने आया था। जांच के बाद निगरानी थाने में साल 2000 में एफआईआर दर्ज कराई गई। यह जानकारी देते हुए विशेष लोक अभियोजक कृष्णदेव साह ने बताया कि बिहार स्टेट शुगर कॉर्पोरेशन के लौरिया चीनी मिल से 997 बोरी चीनी गायब हो गई। मिल के महाप्रबंधक एचबीएन सिंह व अन्य अधिकारी व कर्मियों ने सितंबर 1990 में 997 बोरी चीनी की बिक्री फर्जी फर्म से प्रदर्शित किया। 21 से 28 सितंबर 1990 तक आठ दिनों में 797 बोरी चीनी मुजफ्फरपुर के गोला रोड स्थित मेमर्स गोपाल ट्रेडस और 200 बोरी चीनी बेतिया के छोटी रमना स्थित मेसर्स लोकनाथ को आपूर्ति दिखाई गई। मामले की जांच आपूर्ति अधिकारियों से कराई गई। स्थल जांच में गोला रोड व बेतिया में दोनों एजंेंसी नहीं मिली। दोनों एजेंसी के नाम पर फर्जी कागज जारी किया गया। कुल आठ लाख 88 हजार रुपए का गबन किया गया था। दो एजेंसियों के नाम फर्जी कागज जारी, 8.88 लाख का गबन
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