पटना के बेली रोड पर बने लोहिया पथचक्र जैसे पुल देश के अन्य शहरों में भी बनेंगे। एनएचएआई ने इस मॉडल को अपनाने का निर्णय लिया है। ओडिशा सरकार भी ऐसा ब्रिज अपने शहरों में बनाएगी। सबसे पहले भुवनेश्वर में पुल के साथ अंडरपास बनेगा। एनएचएआई के साथ ही ओडिशा सरकार की टीम ने पटना आकर लोहिया पथचक्र की जानकारी ली है और कम जगह में बने इस डिजाइन को सराहा है। लोहिया पथचक्र से दानापुर के सगुना मोड़ से हड़ताली मोड़ तक करीब 10 किमी की सड़क ट्रैफिक सिग्नल से मुक्त हो गई है। अब भुवनेश्वर की व्यस्त सड़कों पर भी लोहिया पथचक्र जैसा पथचक्र बनेगा। पुल निर्माण निगम के इंजीनियरों ने इसकी पुष्टि की है। लोहिया पथचक्र की खासियत फेज-1 : बीपीएससी के सामने लोहिया पथचक्र के पहले फेज के पूरा होने से राजधानी के बड़े हिस्से की कनेक्टिविटी बेली रोड से बढ़ गई। इससे सर्कुलर रोड अंडरपास से एयरपोर्ट, सीएम आवास, राजभवन, सचिवालय सहित अन्य इलाकों से गाड़ियां सीधे बेली रोड पहुंचने लगीं। पहले इन इलाकों से आने वाले वाहनों को बेली रोड क्रॉस करने के लिए यू-टर्न लेना पड़ता था। निर्माण पर 391 करोड़ खर्च साल 2014-15 में पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि से 391 करोड़ मिले, जिससे लोहिया पथचक्र के दो फेज बने। हालांकि, पुल बनाने का काम 2022-23 में शुरू हुआ, जिसके चलते प्रोजेक्ट की लागत बढ़ गई। इसका निर्माण दो हिस्से में किया गया है। पहला-बिहार लोक सेवा आयोग कार्यालय के सामने और दूसरा हड़ताली मोड़ पर। हालांकि, ओडिशा की टीम ने हड़ताली मोड़ वाले पथचक्र को ज्यादा कारगर बताया है। फेज-2 : हड़ताली मोड़
पथचक्र के हड़ताली मोड़ वाले प्रोजेक्ट में दारोगा राय पथ से हड़ताली मोड़ तक आने-जाने के लिए दो लेन है। इसे अंडरपास से जोड़ते हुए बेली रोड और बोरिंग रोड तक को कनेक्ट किया गया है। दारोगा राय पथ वाले हिस्से में तीन लेन को जोड़ने वाला अंडरपास बना है। यह बोरिंग रोड से आर ब्लॉक तक के हिस्से को आसानी से जोड़ता है। लोहिया पथचक्र की तर्ज पर एनएचएआई पूरे देशभर में पुलों का निर्माण करेगा। ओडिशा सरकार भी इस डिजाइन को अपनाने जा रही है। ऐसा पहली बार है, जब हमारे राज्य और राजधानी की पुल परियोजना को देशभर में अपनाया जाएगा। -जितेंद्र कुमार, एमडी, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम
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