राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित डीएम कंपाउंड कॉलोनी के पास शनिवार देर रात हुई आत्महत्या की वारदात ने सभी को स्तब्ध कर दिया। 28 वर्षीय कारोबारी ईशान गर्ग ने अपनी कार में बैठकर खुद को गोली मार ली। रविवार को पोस्टमार्टम में सामने आया कि गोली दाहिनी कनपटी से मारी गई थी।पुलिस जांच में सामने आया है कि ईशान मानसिक अवसाद और आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। उनके माता-पिता दोनों का पहले ही निधन हो चुका था, जिससे वह लंबे समय से अकेलेपन में जी रहे थे। लमार्ट से पढ़ाई, पिता के बिजनेस को संभालने की कोशिश पुलिस पड़ताल में पता चला कि ईशान ने लमार्ट इंटर कॉलेज से इंटर तक की पढ़ाई की थी और लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया था। पिता पराग गर्ग बिजनेसमैन थे। पिता के निधन के बाद ईशान ने कारोबार संभालने की कोशिश की, लेकिन धीरे-धीरे आर्थिक हालात बिगड़ते चले गए। उनकी बहन शुभी गर्ग गाजियाबाद में अपने पति के साथ रहती हैं। पिता की 2021 में कोरोना से मौत हो गई थी, जबकि मां का निधन उससे पहले बीमारी के चलते हुआ था। इसके बाद ईशान बिल्कुल अकेले रह गए थे। दोस्तों के साथ लखनऊ में ही रहने की जिद परिवार के करीबी लोगों के मुताबिक, बहन शुभी ने कई बार ईशान को अपने साथ गाजियाबाद चलने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने हर बार मना कर दिया। उनका कहना था कि उनके दोस्त और रिश्तेदार लखनऊ में ही हैं। करीबी रिश्तेदारों का कहना है कि ईशान की दो बार शादी की बातचीत भी हुई, लेकिन दोनों ही बार रिश्ता तय नहीं हो पाया। वह न तो किसी नौकरी में थे और न ही किसी स्थायी व्यवसाय से जुड़े थे। आर्थिक संकट ने बढ़ाया अवसाद हजरतगंज इंस्पेक्टर विक्रम सिंह के अनुसार, ईशान पर काफी कर्ज हो गया था। आर्थिक संकट के चलते वह अवसाद में आ गए थे। उनका इलाज भी चल रहा था। उन्होंने कुछ समय पहले राजाजीपुरम के एफ ब्लॉक स्थित अपना मकान और कार बेच दी थी, और हाल ही में चिनहट के गैलेक्सी इंफ्रा अपार्टमेंट में रहने लगे थे।पुलिस को कार से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। ईशान की बहन ने भी किसी पर आरोप नहीं लगाया है। कार के भीतर मिला शव, रिवॉल्वर बरामद शनिवार रात डीएम कंपाउंड के पास खड़ी होंडा कार से गोली चलने की आवाज सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। गाड़ी अंदर से लॉक थी। पुलिस ने शीशे तोड़कर शव को बाहर निकाला और ट्रॉमा सेंटर भेजा, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने कार से एक लाइसेंसी रिवॉल्वर, पांच कारतूस और पन्नी में रखे चार अतिरिक्त कारतूस बरामद किए। पैन कार्ड और शस्त्र लाइसेंस के ज़रिए पहचान की पुष्टि की गई। परिवार के रिश्तेदार बोले- “कभी समस्या का जिक्र नहीं किया” ईशान के जीजा वंशज अग्रवाल ने बताया कि, “ससुर पराग गर्ग की कोरोना काल में मौत के बाद से ईशान खुद को संभाल नहीं पाए। उनका व्यवसाय भी धीरे-धीरे ठप हो गया था। हालांकि वह अपनी परेशानी कभी किसी से साझा नहीं करते थे।”
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