रूस में स्टडी वीजा पर पढ़ाई करने गए और फिर जबरन रूसी सेना में भर्ती किए गए उत्तराखंड के राकेश कुमार की मौत हो गई है। 24 साल का राकेश ऊधम सिंह नगर का रहने वाला था, परिवार को पता लग गया था कि बेटा रूस में फंस गया है लेकिन वो उसे बचाने के लिए भी कुछ नहीं कर सके। बीते 11 दिन पहले 7 दिसंबर को ही पहले राकेश के पिता को फोन आया था की आपका बेटा युद्ध में मारा गया है, जिसके बाद सोमवार को राकेश का शव ताबूत में दिल्ली पहुंचा। दिल्ली से शव मंगलवार को पंतनगर एयरपोर्ट पहुंचा जहां से शव को पैतृक गांव शक्तिफार्म लाया गया। यहीं पर बुधवार को उसका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान परिवार और गांव के लोग उसकी मौत से गमगीन थे, जबकि पिता राजबहादुर मौर्य ने कहा कि उनका बेटा पढ़ाई के लिए रूस गया था, लेकिन उसे बंदूक थमा दी गई। पढ़ाई के लिए गया था रूस, कुछ ही दिनों में सब बदल गया राकेश कुमार मूल रूप से सितारगंज तहसील के शक्तिफार्म क्षेत्र के कुशोमठ गांव का रहने वाला था। वह 7 अगस्त को सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए स्टडी वीजा पर रूस गया था। घरवालों के मुताबिक शुरुआती दिनों में सब कुछ सामान्य था, लेकिन कुछ ही समय बाद राकेश की बातों से परिवार को लगने लगा कि वह किसी गंभीर परेशानी में फंस गया है। राकेश के बड़े भाई दीपू मौर्या ने बताया कि 30 अगस्त को उनकी आखिरी बार राकेश से सीधी बातचीत हुई थी। उसी बातचीत में राकेश ने खुलासा किया कि उसे जबरन रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया है और जल्द ही यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में भेजा जाएगा। एक फोटो जिसने पूरे परिवार को डरा दिया 30 अगस्त के बाद राकेश से संपर्क पूरी तरह टूट गया। कुछ दिनों बाद परिवार को राकेश की एक तस्वीर मिली, जिसमें वह रूसी सेना की वर्दी पहने दिखाई दे रहा था। यह तस्वीर देखकर घरवालों के होश उड़ गए। इसके बाद राकेश ने एक अनजान रूसी नंबर से फोन किया। उसने बताया कि उसका पासपोर्ट, वीजा और सभी जरूरी दस्तावेज जब्त कर लिए गए हैं। उसका ऑफिशियल ईमेल अकाउंट भी डिलीट कर दिया गया है। राकेश ने यह भी बताया कि उसे डोनबास इलाके में ट्रेनिंग देकर सीधे युद्ध के मैदान में भेजा जा रहा है। इस कॉल के बाद परिवार की उससे फिर कभी बात नहीं हो सकी। बेटे को बचाने के लिए दिल्ली तक दौड़ा परिवार जब परिजनों को राकेश के जबरन भर्ती होने की जानकारी मिली, तो उन्होंने उसे वापस लाने के लिए हर संभव कोशिश शुरू की। परिवार दिल्ली पहुंचा और भारत सरकार के अधिकारियों से मुलाकात की। अधिकारियों ने परिवार को आश्वासन दिया था कि राकेश को जल्द भारत वापस लाया जाएगा। परिवार को उम्मीद थी कि बेटा जिंदा लौट आएगा, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। लगभग 10 दिन पहले अधिकारियों ने राकेश के पिता राजबहादुर मौर्य को फोन कर बताया कि उनका बेटा युद्ध में मारा गया है। दिल्ली से शक्तिफार्म तक अंतिम सफर राकेश कुमार का पार्थिव शरीर पहले दिल्ली लाया गया, इसके बाद मंगलवार को पंतनगर एयरपोर्ट पहुंचा। वहां से शव को सितारगंज के शक्तिफार्म स्थित पैतृक गांव लाया गया। बुधवार को तारकनाथ धाम शक्तिफार्म में गमगीन माहौल के बीच राकेश का अंतिम संस्कार किया गया। गांव के लोग, रिश्तेदार और परिचित भारी मन से इस अंतिम विदाई के गवाह बने। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था। पिता बोले- पढ़ने गया था बेटा, जंग में झोंक दिया गया राकेश के पिता राजबहादुर मौर्य ने बताया कि उनका बेटा पढ़ाई के सपने लेकर रूस गया था। 30 अगस्त तक वह परिवार से बात करता रहा और लगातार कहता रहा कि उसे जबरन सेना की ट्रेनिंग दी जा रही है और युद्ध में भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि 30 अगस्त के बाद राकेश से कोई संपर्क नहीं हो पाया। अब सरकार से सिर्फ यही सवाल है कि आखिर एक स्टूडेंट को विदेशी युद्ध में कैसे झोंक दिया गया और उसे बचाने के लिए समय रहते ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए।
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