प्लीज मेरी हेल्प कीजिए, मुझे पुलिस के पास ले चलिए…. ये कहते हुए शुक्रवार को 13 साल की लड़की बेगूसराय के नदैल घाट में लोगों से मदद मांग रही थी। नाबालिग लड़की को देखकर किसी ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और लड़की को अपने साथ थाने लेकर आई। लड़की ने पुलिस को बताया कि एक साल पहले मैं अपने दोस्त के साथ यहां आई थी। मुझे मेरे दोस्त पर काफी भरोसा था, लेकिन उसने मुझे रेड लाइट एरिया में बेच दिया, तब से मैं यहां से निकलने की कोशिश कर रही थी। आज मौका मिलते ही वहां से भाग आई है। पुलिस ने नाबालिग की निशानदेही पर वहां छापेमारी की, जहां नाबालिग से देह व्यापार कराया जा रहा था, लेकिन सभी आरोपी फरार हो चुके थे। नाबालिग कहां की रहने वाली थी, वो देह व्यापार के चंगुल में कैसे फंसी, एक साल तक उसने वहां क्या देखा, एक साल रेड लाइट एरिया में कैसे गुजारे, रेड लाइट एरिया से कैसे भागी? पढ़ें पूरी रिपोर्ट। सबसे पहले जानिए नाबालिग कहां की रहने वाली है, उसकी कहानी क्या है? 13 साल की नाबालिग लाडो (काल्पनिक नाम) सीतामढ़ी जिले के एक थाना क्षेत्र की रहने वाली है। नाबालिग ने बताया कि, मेरे पिता पेशे से मजदूर थे। कमाई उतनी अच्छी नहीं थी। मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। पापा अक्सर मुझसे कहते थे कि बेटी मैं तो अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाया, लेकिन तुम बड़ी होकर अफसर बनना। पिता के ये शब्द मेरे कानों में अक्सर गूंजते थे, मैं अभी पढ़ाई कर रही थी। इसी दौरान पापा की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। पापा के इलाज में काफी रुपए खर्च हो गए। इसके बाद पापा की दवाई और जांच में लगातार खर्च हो रहे थे। इसको लेकर मां दूसरों के घरों में झाडू-पोंछा भी करने लगी। इससे घर का खर्च निकल जाता था। लाडो बताती है कि, छह महीने तक चले इलाज के बाद पिता की मौत हो गई। मां उस दिन खूब रोई थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। रिश्तेदार हम लोगों से ज्यादा मतलब नहीं रखते थे। खैर किसी तरह पड़ोसियों की मदद से पापा का अंतिम संस्कार हुआ। दो दिनों तक घर में चूल्हा नहीं जला था। मां का चेहरा देखकर मैं उदास हो जाती थी, मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। मां काम ढूंढने भी गई, लेकिन उसे कोई काम नहीं मिला। फिर मां सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन के पास बैठकर भीख मांगने लगी। मां की ये हालत देखकर मुझे लगा कि मेरे सारे सपने टूट जाएंगे, पैसे कहां से आएंगे, मेरी पढ़ाई कैसे होगी, पापा का वो सपना कैसे पूरा होगा? ‘मां के साथ मैं भी स्टेशन जाने लगी, फिर एक शख्स के लालच में फंसी’ लाडो ने बताया कि, मैं भी मां के साथ कभी-कभी रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने जाने लगी। इसी दौरान एक शख्स ने मुझे लगातार फॉलो करता था। मेरे पीछे आता था। मुझे तरह-तरह की लालच देता था। गरीबी ऐसी थी कि मैं शख्स के लालच में आ गई। उसने मुझे मोबाइल का लालच दिया था। मैंने सोचा था कि मोबाइल मिल जाएगा तो कम से कम मैं आगे की पढ़ाई कर लूंगी। शख्स से मिले मोबाइल से मैंने पढ़ाई की सोची ही थी कि उसका कॉल आने लगा और वो मुझसे बात करने लगा। बातचीत के दौरान वो अच्छी लाइफ देने का झांसा देने लगा। कहता था तुम बस मुझ पर भरोसा रखना। जब मैं कहूंगा तो मेरे साथ चलने के लिए तैयार हो जाना। करीब एक साल पहले उसने मुझे अपने साथ चलने को कहा। मैंने उस पर भरोसा किया और मां को छोड़कर ट्रेन से शख्स के साथ बखरी आ गई। मैं इतनी नासमझ थी कि मैंने न शख्स से उसका नाम पूछा और न ही ये जानने की कोशिश की कि वो कौन है, कहां रहता है। सीतामढ़ी से बेगूसराय पहुंची तो शख्स ने मुझे ऑटो में बैठाया और कहा कि हम लोग नदैल घाट चल रहे हैं, वहां कुछ दिन रहेंगे, फिर तुम्हारी अच्छी जॉब लगवा दूंगा। इसके बाद मुझे जहां ले जाया गया, वहां एक शख्स से मिलवाया। दो दिनों तक वो मेरे साथ रहा, फिर अचानक गायब हो गया। फिर एक शख्स मेरे पास आया और कहा- तुम बिक चुकी हो। तुम्हें यहीं रहकर देह व्यापार करना होगा। जब मैंने ये सुना तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। मेरी आंखों के सामने सबसे पहले मां का चेहरा आया, फिर मेरे सपने मुझे दिखने लगे कि मैंने क्या-क्या सोचा था और मैं कहां आकर फंस गई। मैं जब भी देह व्यापार से इनकार करती, मुझे बेल्ट से पीटते थे लाडो ने बताया कि, शुरुआती दिनों में देह व्यापार से इनकार किया, तो मेरी बेल्ट से पिटाई की जाने लगी। कुछ ही दिन के बाद मेरी तबीयत खराब रहने लगी। तभी वहां रहने वाली एक और लड़की मेरे पास आई और उसने अपनी कहानी बताई। जो तुम्हे पीटता है वो अब्बास खलीफा है, बहुत क्रूर है। उसे बिल्कुल दया नहीं आती। बेहतर होगा कि जो वो बोल रहा है, उसे चुपचाप मान लो, नहीं तो तुम ऐसे ही मार खाती रहोगी। रक्षाबंधन पर भगवान को राखी बांधकर मदद की गुहार लगाई थी लाडो बताती है कि सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे रक्षाबंधन वाले दिन हुई थी। सोच रही थी कि अगर मेरा भी भाई होता तो मेरी ऐसी हालत नहीं होती। ये सोचते-सोचते मेरे दिमाग में आया कि क्यों न इस बार भगवान को ही राखी बांधकर रक्षा का वचन लूं। फिर मैंने साथी लड़की से राखी मंगवाई और भगवान को राखी बांधकर वचन लिया कि अब आपको ही मेरी रक्षा करनी है। अब्बास खलीफा और उसके लड़के मुझ पर कम नजर रखते थे, उन्हें लगता था कि मैंने हालातों से समझौता कर लिया है। आज यानी शुक्रवार को जब मैं अपने कमरे से निकली तो देखा कि कोई नहीं है, मुझे लगा कि शायद लड़के और अब्बास खलीफा नमाज पढ़ने गया होगा। मेरे दिमाग में आया कि यही सही समय है। मैं वहां से बिना कुछ किसी को बताए भाग निकली। आसपास लोगों को देखकर मैं काफी खुशी हुई। मैंने अपनी जैसी लड़कियों को देखा तो जोर से चिल्लाने और रोने लगी। मैंने लोगों से कहा कि मुझे कोई तो पुलिस के पास ले चलो। करीब 10 मिनट बाद मेरे सामने महिला पुलिसकर्मी थी, मुझे फिर थाना लाया गया। आरोपी अब्बास खलीफा की तलाश में जुटी है पुलिस एसपी मनीष ने बताया कि, सूचना मिली थी कि बखरी थाना क्षेत्र के नदैल घाट स्थित अब्बास खलीफा के घर से एक नाबालिग लड़की भाग कर सलौना चैती दुर्गा मंदिर के पास आई है। वह घबराई है और बचाने की गुहार लगा रही है। सूचना मिलते ही डीएसपी कुंदन कुमार के नेतृत्व में बखरी थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। वहां से डरी-सहमी नाबालिग को बरामद किया। पूछताछ में उसने पूरी कहानी बताई है। उसकी निशानदेही पर अब्बास खलीफा के घर पर रेड की, लेकिन वो फरार था। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। नोट- ऊपर लिखी गई बातें नाबालिग ने महिला पुलिसकर्मी को बताई है। महिला पुलिसकर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर दैनिक भास्कर को पूरी कहानी बताई।
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