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राम मंदिर के शिखर पर लहराएगा 11 किलो का ध्वज:22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा होगा; 26 नवंबर से पूरा मंदिर देख सकेंगे श्रद्धालु

अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को एक साल नौ महीने पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा फहराएंगे। केसरिया रंग की यह ध्वजा रामराज्य की परंपरा और मर्यादा का प्रतीक होगी। इस पर सूर्य, ‘ॐ’ और कोविदार वृक्ष के चिह्न बने हैं। कोविदार अयोध्या का शाही वृक्ष है, जिसे कचनार भी कहा जाता है। मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर पर 42 फीट का स्तंभ लगाया गया है। इसी पर 22 फीट लंबी और 11 फीट चौड़ी भगवा पताका लहराएगी। यह ध्वज पैराशूट फैब्रिक से बना है, जिसका वजन 11 किलो है। तेज हवाओं और आंधी-तूफान में भी इसे कोई नुकसान नहीं होगा। यह चारों ओर चक्कर लगा सकेगा यानी 360 डिग्री तक घूम सकेगा। प्रधानमंत्री मुख्य मंदिर के साथ 8 और मंदिरों के शिखरों पर भी ध्वज फहराएंगे। ध्वजारोहण के बाद श्रद्धालुओं के लिए 70 एकड़ में फैले पूरे मंदिर परिसर को खोल दिया जाएगा। धार्मिक कार्यक्रम 21 नवंबर से शुरू होंगे। मुख्य समारोह 25 नवंबर की सुबह 10:30 से दोपहर 12:30 बजे तक चलेगा। इस दौरान श्रद्धालुओं के लिए रामलला के दर्शन बंद रहेंगे। लगभग 8 हजार अतिथियों को समारोह में आमंत्रित किया गया है। यह आयोजन विवाह पंचमी के दिन होगा, जब अयोध्या में भगवान राम और माता सीता का विवाहोत्सव मनाया जाता है। इस बार जब राम बारातें निकलेंगी, तब आसमान में 205 फीट ऊंचा भगवा ध्वज लहराएगा। यह क्षण अयोध्या के इतिहास में सदा के लिए दर्ज हो जाएगा। पढ़िए पूरे कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट… पैराशूट फैब्रिक से तैयार हुआ 11 किलो का ध्वज
ध्वज पैराशूट फैब्रिक से बना है, ताकि तेज हवाओं के झोकों को आसानी से झेल सके। इसका वजन करीब 11 किलो, लंबाई 22 फीट और चौड़ाई 11 फीट है। ध्वज को ऊपर चढ़ाने के लिए मोटी नायलॉन रस्सी का इस्तेमाल होगा। मंदिर के शिखर की ऊंचाई 161 फीट है। इस पर 44 फीट लंबा ध्वजदंड (पोल) लगाया गया है। दोनों को मिलाकर कुल ऊंचाई 205 फीट हो जाएगी। ध्वजदंड के शीर्ष पर एक विशेष चक्र लगाया गया है, जिससे ध्वज 360 डिग्री घूम सकेगा। ध्वज पर ‘ॐ’ के साथ भगवान सूर्य (सूर्यवंश का प्रतीक) और कोविदार वृक्ष का चिह्न अंकित रहेगा। इसका रंग भगवा होगा। इसे फायरप्रूफ और विंड-रेजिस्टेंट बनाने के लिए वैज्ञानिक टीम टेस्टिंग कर रही है। रिपोर्ट जल्द भवन निर्माण समिति को सौंपी जाएगी। ध्वजारोहण के अगले दिन से खुलेगा पूरा मंदिर परिसर
भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि ध्वजारोहण के अगले दिन से श्रद्धालु पूरे मंदिर परिसर में दर्शन कर सकेंगे। रामलला के साथ छह मंदिरों, शेषावतार, सप्त मंडपम और कुबेर नवरत्न टीला तक पहुंच की अनुमति होगी। श्रद्धालुओं की भीड़ नियंत्रित रखने के लिए हर दिन दर्शन की संख्या सीमित रखी जाएगी, ताकि सबको सुगमता से प्रवेश मिले। नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री के अयोध्या आगमन और कार्यक्रम को लेकर विस्तृत चर्चा की गई है। उनसे अनुरोध किया जाएगा कि वे ध्वजारोहण के बाद सप्त मंदिर क्षेत्र, परकोटा और मंदिर की मुरल्स भी देखें।
संभावना है कि प्रधानमंत्री सप्त मंदिर क्षेत्र में ऋषि-मुनियों के आश्रमों का भी अवलोकन करेंगे। मंदिर के अब सिर्फ दो काम बाकी
भवन निर्माण समिति ने लक्ष्य तय किया है कि वर्ष 2025 तक मंदिर परिसर का हर कार्य पूरा कर लिया जाएगा। अब सिर्फ दो प्रमुख काम बाकी हैं। पहला- शहीद स्मारक का निर्माण। दूसरा- अस्थायी मंदिर क्षेत्र को स्मृति स्थल के रूप में तैयार करना। शहीद स्मारक के तौर पर एक धातु का स्तंभ लगाया जाएगा, जिसका निर्माण फरवरी 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। अस्थायी मंदिर को भी मेमोरियल स्थल के रूप में रखा जाएगा, जहां हमेशा एक दीपक प्रज्ज्वलित रहेगा। अब राम मंदिर आयोजन की सिक्योरिटी जानिए…. 8 हजार मेहमान, 3 हजार कमरे बुक
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी मुख्य मंदिर के साथ 8 अन्य शिखरों पर भी ध्वज फहराएंगे।इस आयोजन में RSS प्रमुख मोहन भागवत और BJP के वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे।देश-विदेश से करीब 8 हजार मेहमान आमंत्रित किए गए हैं। जिनमें साधु-संतों के साथ VIP अतिथि भी होंगे।इसके लिए ट्रस्ट ने 3 हजार होटल, गेस्ट हाउस और होमस्टे बुक कर लिए हैं।इस बार ज्यादा अतिथि अयोध्या और आसपास के जिलों से बुलाए जा रहे हैं, ताकि आम श्रद्धालुओं की सहभागिता बढ़े। ध्वजारोहण समारोह के लिए सख्त सुरक्षा व्यवस्था
ध्वजारोहण के दौरान मंदिर परिसर में केवल आमंत्रित अतिथियों को ही प्रवेश मिलेगा।हर गेस्ट को एक स्पेशल कोड वाला पास जारी किया जाएगा, जिस पर नाम, पार्किंग स्थल और सीट नंबर लिखा रहेगा।यह पास आधार कार्ड से लिंक होगा।ट्रस्ट यह व्यवस्था इसलिए अपना रहा है ताकि किसी अन्य व्यक्ति के हाथ आमंत्रण पत्र लग जाने पर भी उसका दुरुपयोग न हो सके। नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि यह ध्वजारोहण समारोह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राम मंदिर निर्माण की पूर्णता का प्रतीक होगा।ध्वज फहराने के साथ ही 70 एकड़ में फैला मंदिर परिसर श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह खोल दिया जाएगा। अयोध्या का यह क्षण इतिहास में दर्ज हो जाएगा। ————————- ये खबर भी पढ़िए अयोध्या राम मंदिर का ध्वज आंधी-तूफान में भी फहराएगा, 360 डिग्री घूमेगा; PM मोदी 25 नवंबर को फहराएंगे अयोध्या में भगवान राम का मंदिर तय समय में बनकर तैयार हो चुका है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के 1 साल 9 महीने के बाद अयोध्या में एक बार फिर बड़ा आयोजन होगा। PM नरेंद्र मोदी यहां 25 नवंबर को धर्मध्वजा फहराएंगे। केसरिया रंग की खास ध्वजा पर सूर्य, ॐ और कोविदार (अयोध्या का शाही वृक्ष, जो कचनार के नाम से जाना जाता है) के प्रतीक बने हुए हैं। राम मंदिर के 161 फुट ऊंचे शिखर पर 42 फुट ऊंचा स्तंभ स्थापित किया गया है। इसी स्तंभ पर 22 फुट लंबी और 11 फुट चौड़ी पताका फराएगी। यह ध्वज 60 Km/घंटा रफ्तार की तेज हवाओं को झेल सकेगा। आंधी-तूफान में उसे कोई नुकसान नहीं होगा। 360 डिग्री पर घूम भी सकेगा। प्रधानमंत्री राम मंदिर के साथ-साथ 8 और मंदिरों के शिखरों पर ध्वजारोहण करेंगे। ध्वजारोहण के बाद श्रद्धालुओं के लिए 70 एकड़ परिसर में बने इन मंदिरों के दर्शन भी शुरू हो जाएंगे। यह आयोजन राम मंदिर के पूर्ण होने का प्रतीक है। पूरी खबर पढ़िए


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