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रामदुलारी पुण्य स्मृति पर्व पर साहित्य, समाज और प्रकृति का संगम, चांद का चेहरा उदास दिखता है… पर खूब बजी तालियां

नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या एक, उसराहा सिरदिलपुर में रामदुलारी साहित्यकार मंडल के तत्वावधान में 15वां रामदुलारी पुण्य स्मृति पर्व समारोह श्रद्धा एवं साहित्यिक गरिमा के साथ आयोजित किया गया। इस अवसर पर श्रद्धांजलि सभा, “साहित्य का सामाजिक उत्तरदायित्व” विषय पर परिचर्चा गोष्ठी, बहुभाषी कवि सम्मेलन तथा पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संयोजन पूर्व रेल राजभाषा अधिकारी द्वारिका राय सुबोध द्वारा किया गया। समारोह का उद्घाटन मोरवा विधायक रणविजय साहू, वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार चंद मुसाफिर, पूर्व वयस्क शिक्षा निदेशक प्रो. बिंदेश्वर दास, डॉ. शैलेंद्र त्यागी, डॉ. सच्चिदानंद पाठक, डॉ. शंभू नाथ झा एवं बैद्यनाथ प्रभाकर सहित अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की शुरुआत आभा ज्योति एवं अंतरा रत्नम द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुई। इंजी. अवधेश कुमार सिंह के कुशल संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन में विभिन्न जिलों से आए तीन दर्जन से अधिक कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज, प्रकृति, प्रेम, जीवन और राष्ट्रवाद जैसे विषयों पर प्रभावशाली प्रस्तुतियां दीं। कवि बशिष्ठ राय बशिष्ठ ने “प्रकृति अब लाचार बना है…” के माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण पर चिंता जताई, वहीं शरदेंदु शरद ने “चांद का चेहरा उदास दिखता है… पंक्तियों से श्रोताओं को भावविभोर किया। बैद्यनाथ पंडित प्रभाकर, शैलेंद्र शर्मा त्यागी, द्वारिका राय सुबोध, एस. एन. झा, चंद मुसाफिर एवं अमरेश कुमार की रचनाओं को भी श्रोताओं से भरपूर सराहना मिली। इसके अलावा कवि ज्ञान शंकर शर्मा, दुखित महतो भक्तराज, रामजी वत्सल, मुरारी प्रसाद शर्मा, रामचंद्र चौधरी, इंतखाब आलम, दिनेश प्रसाद धुरंधर, ईश्वर करूं, कुमुद गिरी, अखिलेश कुमार अरुण मालपुरी, सुबोध कुमार सिंह, राम शंकर राय, प्रो. शशिकांत कुमार, डॉ. लक्ष्मण यादव, विमलेंद्र कुमार विमल, राजकुमार चौधरी, कुमार अमरेश, सीमा सहित अन्य कवियों ने भी अपनी-अपनी रचनाओं से साहित्यिक रंग जमाया। कार्यक्रम के अंत में आयोजक मंडल की ओर से सभी अतिथियों को सम्मानित किया गया। मौके पर क्षेत्र के अनेक गणमान्य नागरिक, साहित्यप्रेमी एवं युवा वर्ग उपस्थित रहे। समारोह ने साहित्य के सामाजिक दायित्व और प्रकृति संरक्षण के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का सार्थक प्रयास किया।


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