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राबड़ी का घर बदला, क्या अब एक नहीं होंगे लालू-नीतीश:राबड़ी कोर्ट जाएंगी तो क्या मिलेगी राहत, नीतीश कुमार के फैसले के पीछे की कहानी

19 साल बाद राबड़ी देवी का पता बदल जाएगा। पुराने बंगले के ऊंचे फाटक, लाल बत्ती वाले काफिलों की यादें और बाहर उमड़ती समर्थकों की भीड़ अब इतिहास का हिस्सा बन जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि इस बदलाव का मतलब सिर्फ प्रशासनिक है या बिहार की बदलती राजनीति की कोई नई कहानी लिखी जा रही है? 19 साल तक जब नीतीश कुमार ने आवास नहीं बदला तो अब क्यों बदला? राबड़ी देवी के पास सरकार का आदेश मानने के अलावा क्या विकल्प है? क्यों कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव की गलती से यह आवास खाली करना पड़ेगा? जानेंगे, आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाहीं में…। सवाल-1ः राबड़ी देवी के आवास खाली करना का मामला क्या है? जवाबः बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग ने 25 नवंबर की शाम पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर 39, हार्डिंग रोड स्थित आवास को आवंटित किया। अब तक राबड़ी देवी 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर बीते 19 साल से रह रहीं थीं। मतलब नए आवास के अलॉटमेंट के बाद उन्हें अब इस आवास को खाली करना होगा। लालू-राबड़ी को अब नए घर में जाना होगा। सवाल-2ः विधायक-मंत्री को आवास कौन अलॉट करता है? जवाबः बिहार सरकार के गजट के मुताबिक, विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री को रहने के लिए घर देने की व्यवस्था है। सरकार का भवन निर्माण विभाग आवास अलॉट करता है। राबड़ी देवी इस वक्त MLC हैं और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में हैं। नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा रहता है। ऐसे में उनकों मंत्री वाली सारी सुख-सुविधा दी जाती है। सवाल-3ः सरकार के आदेश के बाद क्या राबड़ी देवी को आवास खाली करना होगा? जवाबः बिल्कुल। किस आवास में कौन रहेगा, यह भवन निर्माण विभाग तय करता है। पटना हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट दीनु कुमार कहते हैं, ‘अब जब सरकार ने राबड़ी देवी का आवास बदल दिया है तो उन्हें उसमें जाना ही होगा। कोर्ट से भी उन्हें राहत मिलने के आसार कम हैं।’ दीनु कुमार बताते हैं, ‘राबड़ी देवी को एक ही शर्त पर राहत मिल सकती है जब वह आवास मंत्री स्तर का नहीं होगा। क्योंकि उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा है।’ बंगला खाली करवाने का नियम… सरकारी बंगला खाली कराने के लिए बिहार सरकारी परिसर (आवंटन किराया वसूली एवं बेदखली) अधिनियम का इस्तेमाल किया जाता है। कानून के नियमों के मुताबिक… सवाल-4ः तेजस्वी यादव की कौन सी वो गलती थी, जो लालू परिवार पर भारी पड़ा? जवाबः दरअसल, बात 2017 की है। उस वक्त तेजस्वी यादव को बतौर डिप्टी CM 5 देशरत्न मार्ग स्थित आवास अलॉट हुआ था। जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने RJD का साथ छोड़कर वापस BJP के साथ मिलकर सरकार बनाई। तेजस्वी यादव की डिप्टी CM वाली कुर्सी चली गई। तब उस आवास को तत्कालीन डिप्टी CM सुशील कुमार मोदी को अलॉट कर दिया गया। तेजस्वी यादव ने आवास खाली नहीं किया और पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसलिए कहा जा रहा है कि अगर तेजस्वी अपने आवास के लिए कोर्ट नहीं गए होते तो शायद यह आवास पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर अलॉट होता और उसे आज खाली करने की जरूरत नहीं पड़ती। सवाल-4: 19 साल बाद राबड़ी देवी के आवास को बदलने के पीछे राजनीति भी है क्या? जवाबः बिल्कुल। एक्सपर्ट इसके पीछे मोटे तौर पर 4 बड़े कारण बताते हैं… 1. नीतीश का सीधा मैसेज- लालू फैमिली की जरूरत नहीं पॉलिटिकल एनालिस्ट अभिरंजन कुमार कहते हैं, ‘नीतीश सरकार के इस फैसले से क्लियर मैसेज है कि अब वह लालू परिवार की तरफ रूख नहीं करेंगे। मतलब अब वह भाजपा के साथ ही रहेंगे।’ अभिरंजन कुमार कहते हैं, ‘जब तक नीतीश कुमार को लगता था कि मिलने की गुंजाइश है तब तक उन्होंने लालू फैमिली को अपने पास रखा। अब उन्होंने लगभग तय कर लिया है कि उनकी जरूरत नहीं है तो दूर कर दिया।’ वह कहते हैं, ‘नीतीश कुमार लगातार कह रहे हैं कि अबकी बार नहीं जाएंगे। फिर भी लोग चर्चा छेड़ दे रहे हैं। इन चर्चाओं को बल दोनों के घर के आसपास होने के कारण भी मिल जाता था। अब घर को दूर कर नीतीश कुमार ने काम करने के तरीके से भी दूरी दिखाने की कोशिश की है।’ 2. RJD के सिंबल को खत्म कर कमजोर करना पॉलिटिकल एनालिस्ट अरुण पांडेय कहते हैं, ‘नीतीश कुमार इस चुनाव में मजबूत बनकर उभरे हैं। सरकार में भाजपा का प्रभाव भी बढ़ा है। दोनों पार्टियों को लगता है कि चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद RJD कमजोर हुई है। ऐसे में उस पर और कार्रवाई कर उसे तोड़ा जा सकता है।’ 3. भाजपा की हार्ड पॉलिटिक्स- मिले हुए का टैग नहीं चाहिए पॉलिटिकल एनालिस्ट अभिरंजन कुमार कहते हैं, ‘इस सरकार में भाजपा का प्रभाव बढ़ा है। वह एग्रेसिव पॉलिटिक्स के लिए जानी जाती है। पार्टी अपने विरोधियों को कमजोर करने के लिए हर वह दांव चलती है, जिसमें उसको फायदा दिखता है।’ 4. लालू फैमिली का परसेप्शन बिगाड़ना सीनियर जर्नलिस्ट सत्यभूषण सिंह कहते हैं, ‘लालू परिवार 19 सालों से इस आवास में रह रहा है। अब जब आवास खाली होगा तो सरकार उसके अंदर का फोटो-वीडियो जारी करेगी। अंदर के राजवाड़े जैसे महल को दिखाएगी और लालू फैमिली का परसेप्शन लोगों के बीच खराब करेगी।’ सवाल-5: राबड़ी आवास बदलने का फैसला क्या नीतीश कुमार को नजरअंदाज कर लिया गया? जवाबः सीनियर जर्नलिस्ट संतोष सिंह कहते हैं, ‘ऐसा हो ही नहीं सकता कि बिना नीतीश कुमार की बिना सहमति के ऐसा फैसला हुआ होगा। चूंकि भवन निर्माण मंत्रालय JDU कोटे के मंत्री विजय चौधरी के पास है।’ वह कहते हैं, ‘हालांकि सरकार को इस फैसले से हासिल कुछ नहीं होगा। बल्कि बिलो द ग्रेस पॉलिटिक्स का यह उदाहरण बनेगा।’


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