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राज्यसभा में सीट को लेकर छलका मांझी का दर्द:अपनी ही पार्टी के नेतृत्व को चेताया, बोले- मोह छोड़िए, नहीं तो पार्टी हाशिए पर चली जाएगी

राज्यसभा में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को एक भी सीट नहीं मिलने के आसार पर केंद्रीय मंत्री और पार्टी संरक्षक जीतन राम मांझी का दर्द अब खुलकर सामने आ गया है। रविवार को पार्टी के अभिनंदन समारोह के मंच से केंद्रीय मंत्री और एनडीए के सहयोगी जीतन राम मांझी ने न सिर्फ नाराजगी जताई, बल्कि अपनी ही पार्टी के नेतृत्व को आइना भी दिखाया। शब्द कड़े थे। संदेश साफ कहा कि अब चुप्पी नहीं, संघर्ष जरूरी है। मांझी ने कहा कि पार्टी नेतृत्व से उन्हें पीड़ा है। अपने हक के लिए समय रहते कोई ठोस पहल नहीं हुई। उन्होंने साफ कहा कि हमारी पार्टी के साथ जनमानस बड़ी संख्या में है। हम ज्यादा सीटें जीत सकते हैं। यह बात नेतृत्व को समझनी होगी। उन्होंने विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर उस वक्त आवाज नहीं उठाई जाती, तो छह सीट भी नहीं मिलतीं। दो-तीन पर ही निपटा दिया जाता। ‘सब कुछ फाइनल हो गया, हमारी पार्टी को कुछ नहीं मिलने जा रहा’ राज्यसभा सीट बंटवारे पर तंज कसते हुए मांझी ने कहा कि सब कुछ फाइनल हो गया। लोग चुन लिए गए। हमारी पार्टी को कुछ नहीं मिलने जा रहा है। अगर आप बोलेंगे ही नहीं, तो यही होगा। केंद्रीय मंत्री हैं। प्रदेश में मंत्री हैं। अगर फिर भी मुंह बंद रखेंगे, तो नुकसान पार्टी को ही होगा। मंत्री पद के मोह में पार्टी को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने दो टूक कहा कि मोह छोड़कर संघर्ष करना होगा। केवल मांग करने से कुछ नहीं मिलेगा। जब तक सड़क पर उतरकर लड़ाई नहीं लड़ी जाएगी, पार्टी आगे नहीं बढ़ेगी। समाज का भला भी नहीं होगा। उन्होंने यहां तक कहा कि हमसे कमजोर पार्टियां आगे निकल गईं, क्योंकि उन्होंने दबाव बनाया। पार्टी के विधायकों, प्रवक्ता को भी आड़े हाथों लिया मजाकिया लहजे में पत्रकारों पर भी तंज कसा, लेकिन बात गंभीर थी। कहा कि यहां पत्रकार बैठे हैं, हम बोलेंगे तो कुछ और ही मतलब निकाल लेंगे। विधायकों को भी आड़े हाथों लिया। जीतन राम मांझी ने कहा कि पार्टी मजबूत करनी है तो सबको योगदान देना होगा। हमें तीन लाख रुपए मिलते हैं, हम देने को तैयार हैं। आप लोग भी दीजिए। मांझी यहीं नहीं रुके। जिला अध्यक्ष नारायण प्रसाद मांझी का नाम लेते हुए कहा कि अगर उन्हें पूरी मदद मिलती, तो पार्टी सड़क पर उतरती। आंदोलन खड़ा होता। राज्यसभा सीट के लिए मांग उठती। आखिर में सवाल दागा—पार्टी के प्रवक्ता कहां हैं? राज्यसभा सीट बंटवारे पर अब तक एक भी आवाज क्यों नही उठी।


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