शीतकालीन सत्र के 7वें दिन मंगलवार को राज्यसभा में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 साल पूरे होने पर खास चर्चा होगी। इसकी शुरूआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्री और सदन के नेता जेपी नड्डा भी अपना पक्ष रखेंगे। इससे पहले सोमवार को लोकसभा में वंदेमातरम् के 150 साल पूरे होने पर चर्चा की गई। इसकी शुरूआत प्रधानमंत्री मोदी ने की। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग के डर से कांग्रेस ने वंदे भारत का अपमान किया। वहीं, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भाजपा पर राष्ट्रगीत को न अपनाने का आरोप लगाया। दरअसल राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने के मौके पर भारत सरकार की ओर से सालभर का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। 2 दिसंबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सभी दलों के प्रतिनिधियों की मीटिंग बुलाई थी। इसमें तय किया गया था कि वंदे मातरम को लेकर 8 दिसंबर को लोकसभा और 9 दिसंबर को राज्यसभा में चर्चा होगी। संसद में वंदे मातरम पर चर्चा कराने की 5 वजह सरकार संसद में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा इसलिए कराना चाहती है ताकि इसके 150 साल पूरे होने पर इसका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व देश के सामने रखा जा सके। इसके पीछे 5 बड़ी वजहें मानी जा रही हैं:
1) राष्ट्रीय भावना और एकता का संदेश- सरकार चाहती है कि वंदे मातरम पर चर्चा से देश में राष्ट्रभावना, सांस्कृतिक गौरव और एकता का संदेश जाए। यह विषय जनता में भावनात्मक जुड़ाव भी पैदा करता है।
2) बंगाल चुनाव से जुड़ा राजनीतिक संकेत- वंदे मातरम का इतिहास बंगाल से जुड़ा हुआ है। अगले साल होने वाले बंगाल चुनाव को देखते हुए सरकार इस मुद्दे को सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से सामने लाना चाहती है। इससे सरकार को लगता है कि वह राज्य में भाजपा के लिए सकारात्मक और राजनीतिक माहौल बना सकेगी।
3) 1937 में वंदे मातरम के हिस्से को हटाने की बहस को सामने रखना- आजादी से पहले 1937 में इसके दूसरे हिस्से को धार्मिक कारणों से उपयोग से हटाया गया था। सरकार चाहती है कि उस ऐतिहासिक विवाद पर चर्चा हो और इसके पीछे तुष्टिकरण की राजनीति को सामने लाया जा सके।
4) बंगाल विभाजन और स्वतंत्रता आंदोलन की याद दिलाना- वंदे मातरम का नारा बंगाल विभाजन (1905) के खिलाफ बड़े आंदोलनों का केंद्र था। सरकार इस इतिहास को राष्ट्रीय मंच पर फिर से सामने लाकर देशभक्ति की भावना को मजबूत करना चाहती है।
5) विपक्ष के साथ टकराव से ध्यान हटाना- SIR पर चल रहे तनाव के बीच वंदे मातरम जैसी भावनात्मक और सर्वस्वीकार्य चर्चा से संसद का माहौल सकारात्मक करने की कोशिश भी सरकार की रणनीति का हिस्सा है। 7 नवंबर: PM ने कहा- 1937 में वंदे मातरम् के टुकड़े हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 7 नवंबर को राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने के मौके पर नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में कार्यक्रम को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था- वंदे मातरम् भारत की आजादी का उद्घोष था। यह हर दौर में प्रासंगिक है। 1937 में वंदे मातरम् का एक हिस्सा हटा दिया गया था। उसके टुकड़े कर दिए थे। PM ने कहा- वंदे मातरम् के इस विभाजन ने देश के विभाजन के बीज बोए थे। राष्ट्र निर्माण के इस महामंत्र के साथ ये अन्याय क्यों हुआ? वही विभाजनकारी सोच आज भी देश के लिए चुनौती बनी हुई है। प्रधानमंत्री ने एक डाक टिकट और सिक्का जारी किया था। उन्होंने साल भर चलने वाले स्मरण समारोह का उद्घाटन किया और एक वेबसाइट भी लॉन्च की। PM ने वंदे मातरम् के सामूहिक गायन कार्यक्रम में भी भाग लिया। पूरी खबर पढ़ें… बंकिम चंद्र ने 7 नवंबर को लिखा था, आनंदमठ में छपा था भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम् को बंकिम चंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के पावन अवसर पर लिखा था। यह पहली बार उनकी पत्रिका बंगदर्शन में उनके उपन्यास आनंदमठ के हिस्से के रूप में छपा था। 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने मंच पर वंदे मातरम् गाया। यह पहला मौका था जब यह गीत सार्वजनिक रूप से राष्ट्रीय स्तर पर गाया गया। सभा में मौजूद हजारों लोगों की आंखें नम थीं। वंदे मातरम् गाने पर बच्चों पर 5 रुपए का जुर्माना लगा 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में वंदे मातरम् जनता की आवाज बन गया। रंगपुर के एक स्कूल में जब बच्चों ने यह गीत गाया, तो ब्रिटिश प्रशासन ने 200 छात्रों पर 5-5 रुपए का जुर्माना लगाया। सिर्फ इसलिए कि उन्होंने वंदे मातरम् कहा था। ब्रिटिश सरकार ने कई स्कूलों में वंदे मातरम् गाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय छात्रों ने कक्षाएं छोड़ दीं, जुलूस निकाले और यह गीत गाना नहीं छोड़ा। कई जगह पुलिस ने उन्हें मारा, जेल में डाला गया। 17 अगस्त 1909 को जब मदनलाल ढींगरा को इंग्लैंड में फांसी दी गई। उनके आखिरी शब्द वंदे मातरम् थे। संविधान सभा में वंदे मातरम् को राष्ट्रगीत घोषित किया देश को आजादी मिलने के बाद संविधान सभा को राष्ट्रगीत तय करना था। 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि वंदे मातरम् गीत ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। इसे राष्ट्रगीत जन गण मन के बराबर सम्मान और दर्जा दिया जाएगा। इसके साथ ही वंदे मातरम् को भारत का राष्ट्रीय गीत घोषित किया गया।
अब शीतकालीन सत्र को लेकर जानकारी पढ़िए… शीतकालीन सत्र में 10 नए बिल पेश होंगे संसद के शीतकालीन सत्र में 10 नए बिल पेश होंगे। लोकसभा बुलेटिन में शनिवार (22 नवंबर) को इसकी जानकारी दी गई थी। इनमें सबसे अहम एटॉमिक एनर्जी बिल है, जिसके तहत पहली बार निजी कंपनियों (भारतीय और विदेशी) को न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। फिलहाल देश में सभी परमाणु संयंत्र सरकार के नियंत्रण वाली कंपनियां, जैसे NPCIL, ही बनाती और चलाती हैं। बिल पास होने पर निजी क्षेत्र को भी न्यूक्लियर पावर प्रोडक्शन में प्रवेश मिलेगा। सत्र में आने वाला दूसरा बड़ा बिल ‘हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया’ बिल होगा। इसमें UGC, AICTE और NCTE जैसे अलग-अलग रेगुलेटरी संस्थानों को खत्म करके एक ही राष्ट्रीय कमीशन बनाने की योजना है। सरकार का कहना है कि इससे उच्च शिक्षा व्यवस्था अधिक सुगम और प्रभावी होगी। अहम बिल जो पेश होंगे, उनसे क्या बदलाव संसद में पिछले 6 दिनों की कार्रवाई 1 दिसंबर- वित्त मंत्री ने 3 बिल पेश किए, मणिपुर GST बिल पास संसद के शीतकालीन सत्र में पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में तीन बिल पेश किए, जिसमें से मणिपुर गुड्स एंड सर्विस टैक्स बिल (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025 बिल पास हुआ। इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 और स्वास्थ्य सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा सेस विधेयक, 2025 भी लोकसभा में पेश किए थे। पूरी खबर पढ़ें… 2 दिसंबर- सरकार ने SIR पर बहस के लिए अड़े विपक्ष को मनाया चुनाव सुधार यानी SIR पर लोकसभा में 9 दिसंबर को चर्चा होगी। संसद में दो दिन से फौरन चर्चा पर अड़ा विपक्ष बहस के लिए मान गया है। मंगलवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता के. सुरेश ने बताया- 9 दिसंबर को इलेक्टोरल रिफॉर्म्स यानी चुनावी सुधारों पर 10 घंटे बहस होगी। साथ ही उन्होंने कहा- एक दिन पहले 8 दिसंबर को वंदे मातरम् पर चर्चा होगी। इसके लिए भी 10 घंटे का समय तय किया गया है। पूरी खबर पढ़ें… 3 दिसंबर- PM मोदी बंगाल के भाजपा सांसदों से मिले, कहा- विधानसभा चुनाव जीतना है संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 11 बजे दोनों सदनों की कार्यवाही से पहले संसद परिसर में पश्चिम बंगाल के भाजपा सांसदों से मुलाकात की। उन्होंने सांसदों से कहा कि राज्य के मौजूदा हालात को लेकर जनता से बातचीत की जरूरत है। PM ने कहा- जमीनी स्तर पर जो कुछ हो रहा है, उसका कड़ा विरोध करना चाहिए। पूरी खबर पढ़ें… 4 दिसंबर- राहुल बोले थे- विदेशी मेहमानों से मिलने नहीं देती सरकार कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संसद सत्र के चौथे दिन आरोप लगाया कि सरकार, विदेश से आने वाले शीर्ष नेताओं (दिग्निटरीज) से मिलने नहीं देती। उनसे कहती है कि वे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (LoP) से न मिलें। इसका कारण सरकार की असुरक्षा है। पूरी खबर पढ़ें… 5 दिसंबर- DMK सांसद ने हाईकोर्ट जज को ‘RSS जज’ कहा संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में 5 दिसंबर को तमिलनाडु से DMK सांसद टीआर बालू और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के बीच तीखी बहस हुई। DMK सांसद ने एक मुद्दे पर बोलते हुए एक हाईकोर्ट के जज को ‘RSS जज’ कह दिया। किरेन रिजिजू ने इस पर तुरंत आपत्ति जताई। पूरी खबर पढ़ें… 8 दिसंबर- लोकसभा में वंदेमातरम के 150 साल पूरे होने पर चर्चा संसद के शीतकालीन सत्र के छठे दिन सोमवार को लोकसभा में वंदेमातरम के 150 साल पूरे होने पर चर्चा की गई। इसकी शुरूआत प्रधानमंत्री मोदी ने की। इस दौरान उन्होंने वंदे भारत के 4 खंड हटाने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग के डर से कांग्रेस ने वंदे भारत का अपमान किया। पूरी खबर पढ़ें…
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