नालंदा जिले में 21 से 25 दिसंबर तक पहली बार आयोजित हो रहे नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल (NLF) ने साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरुआत की है। राजगीर स्थित राजगीर कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इस पांच दिवसीय महोत्सव का उद्देश्य नालंदा की समृद्ध बौद्धिक परंपरा को पुनर्जीवित करना और आधुनिक साहित्यिक चिंतन को एक मंच प्रदान करना है। विश्व प्रसिद्ध प्राचीन ज्ञान केंद्र नालंदा की विरासत से प्रेरित यह साहित्यिक महोत्सव एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पहल है। नालंदा, जो कभी बिहार और उत्तर-पूर्व भारत पर विशेष ध्यान देने के साथ भारतीय और समकालीन साहित्यिक परंपराओं का केंद्र था, आज फिर से वैश्विक साहित्यिक मानचित्र पर अपनी जगह बना रहा है। इस महोत्सव का उद्देश्य केवल साहित्यिक चर्चा तक सीमित नहीं है। आयोजकों का मानना है कि यह मंच क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुमूल्य सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देगा तथा लोकप्रिय और भविष्य की साहित्यिक पीढ़ी को प्रोत्साहन देगा। विविधता से भरा कार्यक्रम महोत्सव के दौरान साहित्यिक विषयों पर सत्र, पैनल चर्चा, लेखकों से संवाद और विचारोत्तेजक कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। इसके अलावा, विभिन्न प्रकाशनों को प्रदर्शित करने वाले पुस्तक स्टॉल, नियमित पुस्तक आलोचना, विशिष्ट प्रकाशनों तथा प्रतिष्ठित योजना और ध्यान सत्र भी होंगे, जिससे समीक्षाएं और लोकप्रियण, सजीव सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और विभिन्न गतिविधियां प्रतिभागियों को अद्वितीय अनुभव प्रदान करेंगी। प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की उपस्थिति इस ऐतिहासिक आयोजन में साहित्य जगत की कई दिग्गज हस्तियां शामिल हो रही हैं। शनिवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में फेस्टिवल के डायरेक्टर गंगा कुमार ने बताया कि नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल को एक जीवंत प्रयास के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जो परंपरा से जुड़े विचारों पर समकालीन संदर्भों में संवाद को बढ़ावा देता है। चर्चाओं में प्रो. सचिन चतुर्वेदी (कुलपति, नालंदा विश्वविद्यालय), प्रो. सिद्धार्थ सिंह (कुलपति, नव नालंदा महाविहार), गंगा कुमार (फेस्टिवल डायरेक्टर), नाटाशरिस्ट प्रो. आसिया, उपेद्रसन (नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल), डॉ. पंकज के. पी. त्रेपुरक्त (लेखक), स्तंभकार एवं कवि तथा फेस्टिवल एडवाइजर; पंकज दुबे (लेखक एवं फेस्टिवल क्यूरेटर); और चार्ल्स थॉमसन (एक्टर) शामिल रहें। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व नालंदा लिटरेचर फेस्टिवल 2025 की एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक आयोजन के रूप में उभरने की उम्मीद है। यह महोत्सव नालंदा की सीख, संवाद और विचार-विनिमय की परंपरा को नई ऊर्जा देगा और राजगीर को समकालीन साहित्यिक और बौद्धिक चर्चाओं के केंद्र में स्थापित करेगा।
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