रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का ऑस्ट्रेलिया दौरा, कौन से 3 डिफेंस एग्रीमेंट्स साइन होंगे?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का ऑस्ट्रेलिया दौरा, कौन से 3 डिफेंस एग्रीमेंट्स साइन होंगे?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का 9‑10 अक्टूबर तक ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रहेंगे. वे 2014 के बाद ऑस्ट्रेलिया जाने वाले पहले भारतीय रक्षा मंत्री हैं. इस दौरे का मकसद भारत‑ऑस्ट्रेलिया बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करना है. राजनाथ ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री और उप प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्ल्स से भी मुलाकात करेंगे.

राजनाथ बुधवार को ही सिडनी पहुंच चुके हैं. सिडनी एयरपोर्ट पर उनका स्वागत ऑस्ट्रेलिया में भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले और सीनियर ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने किया. यह यात्रा ऐसे मौके पर हो रही है, जब भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के 5 साल पूरे हो रहे हैं.

डिफेंस इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग

राजनाथ सिडनी में बिजनेस राउंड टेबल में हिस्सा लेंगे. इस कार्यक्रम में दोनों देशों के डिफेंस इंडस्ट्री से जुड़े प्रतिनिधि शामिल होंगे. दोनों देशों के बीच टेक्नोलॉजी शेयरिंग के मौके ढूंढने को लेकर बात होगी. इसके अलावा राजनाथ ऑस्ट्रेलिया के सीनियर नेताओं से भी मिलेंगे. एक और अहम बात यह है कि इस दौरे के बाद ऑस्ट्रेलिया में AustraHind 2025 नाम की जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज होगी, जिसमें दोनों देशों की सेनाएं हिस्सा लेंगी.

राजनाथ के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर 3 नए डिफेंस समझौते किए जाने हैं…

1. इंफॉर्मेशन शेयरिंग एग्रीमेंट: दोनों देशों की खुफिया जानकारी साझा करने की व्यवस्था बनेगी. इसका मतलब है कि दोनों देश खुफिया जानकारी, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद और चीन की गतिविधियों से संबंधित महत्वपूर्ण सूचनाएं एक-दूसरे के साथ साझा करेंगे. यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के लिए जरूरी है.

2. मेरीटाइम सिक्योरिटी एग्रीमेंट: समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा और निगरानी में सहयोग बढ़ाया जाएगा.
इसके तहत हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में नौसेना सहयोग, संयुक्त गश्त और चीनी नौसेना की निगरानी शामिल होगी. यह समझौता दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रवैये के मद्देनजर अहम है.

3. जॉइंट मिलिट्री एक्टिविटीज एग्रीमेंट: सैन्य अभ्यास, स्टाफ वार्ता और साझा मिशनों की व्यवस्था होगी. इसमें जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज, ट्रेनिंग प्रोग्राम, हथियारों और डिफेंस टेक्नोलॉजी में सहयोग शामिल है. दोनों देशों की थल सेना, वायुसेना और नौसेना नियमित रूप से एक साथ अभ्यास करेंगी.

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