इटावा में ससुराल पक्ष की प्रताड़ना से तंग आकर युवक ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी, लेकिन अब उसके परिजन न्याय के लिए थानों के चक्कर काट रहे हैं। भरथना और बकेवर थाना पुलिस के बीच क्षेत्राधिकार को लेकर खींचतान के चलते दो दिन बीत जाने के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं हो सका है। घटना शुक्रवार रात करीब सवा आठ बजे की है। ऊसराहार थाना क्षेत्र के नगला चंद उद्देतपुरा निवासी हरिओम राठौर (25) ने भरथना रेलवे स्टेशन के पूर्वी सिग्नल के पास वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। मौके पर ही उसकी दर्दनाक मौत हो गई। मरने से पहले बनाया सुसाइड वीडियो हरिओम ने आत्महत्या से पहले करीब दो मिनट का वीडियो बनाकर अपने छोटे भाई को भेजा, जिसमें उसने पत्नी, सास, साडू, साला और दो सालियों पर लगातार शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया।वीडियो में हरिओम ने कहा कि ससुरालियों ने उसे घर में बंद कर बेरहमी से मारा-पीटा और पिता से दो लाख रुपये की मांग कर छोड़ने की धमकी दी। ससुराल में बंधक बनाकर की गई मारपीट परिजनों के मुताबिक, भाई दूज के दिन हरिओम अपनी पत्नी के साथ ससुराल गया था। किसी बात पर विवाद हुआ तो ससुराल पक्ष ने उसे बंधक बना लिया और पूरी रात पीटा।आरोप है कि पिता से दो लाख रुपये दिलवाने के बाद ही उसे छोड़ा गया। घर लौटने के बाद से वह काफी टूट चुका था।शुक्रवार शाम उसने अपने छोटे भाई को वीडियो भेजकर कहा कि अब वह जीने की हालत में नहीं है। कुछ देर बाद उसने ट्रेन के आगे कूदकर जीवनलीला समाप्त कर ली। सीमा विवाद में उलझी पुलिस, रिपोर्ट दर्ज नहीं मृतक के बड़े भाई सत्यवीर राठौर ने बताया कि उन्होंने वीडियो और साक्ष्यों के साथ भरथना और बकेवर थानों में तहरीर दी, लेकिन दोनों थानों ने यह कहकर मामला टाल दिया कि क्षेत्राधिकार दूसरे का है।दो दिन से थानों के चक्कर काटने के बावजूद रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।उन्होंने कहा कि अब वे उच्चाधिकारियों से न्याय की गुहार लगाने को मजबूर हैं। पत्नी पर रखी जा रही निगरानी सत्यवीर ने बताया कि मृतक की पत्नी पहले भी कई बार आत्महत्या का प्रयास कर चुकी है।अब वह परिवार के लिए चिंता का विषय बन गई है, इसलिए उस पर चौबीसों घंटे निगरानी रखी जा रही है। वीडियो में हरिओम की अंतिम बातें “मुझे मेरे ससुराल वालों ने दो दिन तक इतना मारा कि मैं अब चलने लायक नहीं हूं। उन्होंने घर में बंद कर रखा, पिता से दो लाख रुपये मांगकर छोड़ा। मुझे इतना प्रताड़ित किया गया कि अब जीने की ताकत नहीं बची। अगर न्याय चाहिए, तो इन्हें बख्शा न जाए।”
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