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‘यादवों के गांवों को चुन-चुनकर निशाना बना रहे’:बुलडोजर एक्शन पर महिलाओं में गुस्सा, बोलीं- सम्राट चौधरी हमें फांसी चढ़वा दें, बेटियों को किया बेइज्जत

‘यादवों के गांव को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। बुलडोजर चलवाने में कुछ नेता भी शामिल हैं। फोर्स सड़क किनारे अतिक्रमण हटा रही थी, गुंडे हमारे घरों में घुस आए और आग लगा दी। इसके बाद बुलडोजर चलवा दिया गया। नीतीश, सम्राट की सरकार इसीलिए बनी है कि गरीबों के घर जला दिए जाएं। हमारा सब कुछ खत्म हो गया है। हमारे बाप-दादा यहीं मरे हम कहां जाएंगे। सम्राट की बहनों के घरों पर इस तरह बुलडोजर चलेगा तो क्या करेंगे। यही जवाब दें।’ ये गुस्सा है 42 साल की समस्तीपुर की रहने वाली हीरा देवी और बेगूसराय की 60 साल की आरती देवी का। जिनके घरों पर बुलडोजर चला है। दरअसल, गुरुवार को दुधपुरा बाजार में नगर निगम की ओर से बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण हटाया गया। प्रशासन की इस कार्रवाई में 200 से अधिक परिवारों की झोपड़ियां गिरा दी गई है। लोग टूटी हुई झोपड़ी से बचे अवशेष निकाल रहे हैं। बेघर हुए ज्यादातर लोग रोज कमाने और खाने वाले हैं। प्रशासन की कार्रवाई के बाद दैनिक भास्कर की टीम समस्तीपुर और बेगूसराय में पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंची। जानने की कोशिश की कि अब उनका जीवन कैसे चल रहा है? घर तोड़े जाने के कहां बस रहे हैं, इस कार्रवाई के लिए किसे जिम्मेदार बता रहे हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट… सवाल पूछते ही महिला भड़क गई सबसे पहले हम समस्तीपुर के उस एरिया में पहुंचे, जहां दो दिन पहले बुलडोजर चलाया गया था। यहां चारों तरफ घर खंडहर बन गए थे। लोग टूटी दीवारों, छतों के नीचे से अपना सामान निकालने में जुटे थे। यहां सबसे पहले हमारी मुलाकात हीरा देवी से होती है। उनमें बहुत गुस्सा है, सवाल पूछते ही भड़क जाती हैं, सरकार को कोसने लगती हैं। कहती हैं, ‘सब कुछ खत्म हो गया। मैं यहां 35 साल से रह रही हूं, मेरे बाप-दादा सब यहीं रहे हैं। हम लोग चौथी पीढ़ी हैं। सरकार ने सड़क से अंदर आकर हमारे घर को तोड़ दिया। उनको हमारी फिक्र नहीं है। सड़क के आसपास अतिक्रमण है, वह नहीं हटाकर हमारी घरों में आग लगा दी गई।’ ‘यादवों के जितने भी चार से पांच गांव थे, उनके गांव में यादवों को निशाना बनाया गया, इनमें मंगलगढ़, परोड़िया, दूधपुरा, रामनगर में फोर्स आई। फोर्स के साथ गुंडे भी थे, जिन्होंने ईंट-पत्थर, लाठी-डंडा चलाया। फायरिंग की गई, हम लोग पीछे हटे तो हमारी जान बची। लेकिन जब हम लोगों ने साहस दिखाया तो फोर्स और गुंडे भागे हैं।’ ‘मेरे मां-बाप की यहीं मौत हुई है, मेरे दो बेटों की यहीं मौत हुई है। मैं खिचड़ी खाकर गुजारा कर रही हूं। सीओ साहब ने कहा था कि आप लोगों को 5 डिसमिल जमीन दी जाएगी, मेरा कहीं और जमीन नहीं है, हम लोगों का घर उजाड़ दिया गया है, अब छोटे-छोटे बच्चों को लेकर कहां जाएंगे।’ समस्तीपुर की हीरा देवी ने सम्राट चौधरी को क्या चुनौती दी हीरा देवी ने कहा कि, ‘हम गरीबों को परेशान किया जा रहा है, बस्ती में लूटपाट की जा रही है। मैंने बेटी की शादी के लिए रुपए और गहने रखे थे, सब कुछ लूटकर ले गए। हम लोगों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई, पहले घर तोड़ दिया गया और कहा गया कि जमीन दी जाएगी, ऐसा ही करना था तो नीतीश कुमार ने 10 हजार रुपए क्यों दिए, 10 हजार देकर हमारा खून बहाया जा रहा है।’ अगर सम्राट चौधरी में हिम्मत है, उनके जिगर में दम है तो जो गैरमजरूआ जमीन पर ढांचे बने हैं, उसे तोड़कर दिखाएं। सभी यादव परिवार, पासवान परिवार के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, अगर सम्राट में हिम्मत है तो हम सभी गांव के 5000 लोगों को फांसी पर चढ़ा दें। जब रहने का अधिकार नहीं दे सकते तो फिर मुझे भी जीने का अधिकार नहीं है। ‘पति मजदूरी करते हैं, अब न रहने का ठिकाना, न खाने का’ मेरे पति मजदूरी करते हैं, चार दिन हो गए, नमक रोटी के लिए तरस गए हैं। चूल्हा तक नहीं जल रहा है, चूड़ा मंगवाकर खा रहे हैं, जीवन गुजार रहे हैं, अगर सरकार सही रहती तो सड़क किनारे के अतिक्रमण को हटाती। चलो ठीक है, हमारा घर तोड़ दिया, लेकिन सामान क्यों बर्बाद किया, अब क्या बनाएं, कहां रहें, क्या खाएं? हम लोगों को परेशान किया जा रहा है, हमारे घर से लड़कियों को खींच-खींचकर बेइज्जत किया जा रहा है। जानिए, प्रशासन ने कहां और क्यों चलाया बुलडोजर? समस्तीपुर के मंगलगढ कोठी के भू-स्वामी कृष्ण प्रकाश सिंह केशरी बताते हैं कि, प्रशासन की ओर से खाली कराई गई जमीन उनके पूर्वजों की है। 1993 से लाल झंडे के दम पर लोगों ने कब्जा कर लिया था। कब्जे के खिलाफ मैंने 1993 में एसडीओ रोसड़ा के यहां 145 वाद दायर किया, जिस वाद में 200 लोग उपस्थित हुए। कोर्ट की प्रक्रिया के बाद साल 2003 में कोर्ट ने फैसला मेरे पक्ष में सुनाया। इसके बाद जमीन पर मेरा कब्जा होना चाहिए था। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद 2005 में जिला जज के कोर्ट में अर्जी लगाई। करीब 13 साल बाद एक बार फिर से मेरे पक्ष में फैसला 2018 में आया। लेकिन पजेशन नहीं मिला। साल 2019 में कृष्ण प्रकाश केशरी मामले को लेकर हाईकोर्ट गए। जहां उसी साल अगस्त में कोर्ट ने फैसला देते हुए जिला प्रशासन को जमीन खाली कराने का आदेश दिया। लेकिन चुनावी प्रक्रिया शुरू हो जाने के कारण चुनाव बाद कार्रवाई की बात कही गई। चुनाव खत्म होने के बाद उन्होंने पुन: डीएम के पास पहुंच कर जमीन खाली कराने को लेकर आग्रह किया। जिसके बाद मजिस्ट्रेट की तैनाती के साथ 4 दिसंबर को जमीन खाली कराई गई। हालांकि अभी भी मात्र 70 फीसदी ही अतिक्रमण हटाया गया है। अतिक्रमण अभियान के कारण लोगों की इनके गन्ने के खेतों में आग लगा दी थी। 7 अक्टूबर को ही होनी थी कार्रवाई, चुनाव के कारण हुई देरी रोसड़ा के एसडीओ संदीप कुमार ने बताया कि कोर्ट से आदेश मिलने के बाद सभी लोगों को नोटिस दी गई। 7 अक्टूबर को जमीन खाली कराने को लेकर नोटिस दी गई थी। उस समय माइकिंग भी कराई गई थी। फिर से तीन दिनों से नोटिस के साथ माइकिंग कराई गई। इसके बावजूद लोगों ने जमीन खाली नहीं की तो हाई कोर्ट के आदेश पर उसे खाली कराई गई है। लोगों का आरोप गलत है। कुछ लोगों ने खुद ही झोपड़ी में आग लगा ली थी। फसल में भी आग लगा दी थी। अब पढ़िए, बेगूसराय में बुलडोजर एक्शन के दौरान देसी शराब के कारोबार का खुलासा बेगूसराय के ट्रैफिक चौक से जेल गेट तक बुधवार को झुग्गी झोपड़ी को हटाने के लिए प्रशासन की टीम बुलडोजर लेकर पहुंची। अतिक्रमण हटाने के दौरान ही प्रशासन की टीम को देसी शराब के अवैध कारोबार का पता चला और तत्काल उसका सफाया कर दिया। मामला लोहिया नगर झोपड़पट्टी का है। स्थानीय लोगों ने ये भी कहा कि लोहिया नगर के झोपड़पट्टी में गरीब मजबूरी में नहीं रहते हैं। बल्कि यहां देसी महुआ शराब की फैक्ट्रियां चलती थी। यहां रहने वाले लोग ऊपर से दिखावे के लिए झोपड़ी बनाकर रहते थे। लेकिन अंदर 50 प्रतिशत से अधिक घरों में देसी शराब बनाई जाती थी। यह देसी शराब न केवल आसपास में बेचते थे, बल्कि दूर-दूर तक पहुंचाई जाती थी। मिट्टी के नीचे प्लास्टिक के डिब्बे, गैलन में रखी थी शराब की खेप यहां शराब के कारोबार की सूचना पर पहले भी पुलिस पहुंचती थी तो एक दो घर में छापेमारी करने के बाद लौट जाती थी। अभी जब पुलिस ने झोपड़ी हटाई तो इस दौरान कुछ बोतल में शराब मिली। लेकिन जब मिट्टी खोदकर हटाना शुरू किया तो मिट्टी के नीचे प्लास्टिक के डब्बे और गैलन में शराब रखी मिली थी। यहां के कारोबारी शराब बनाकर मिट्टी के नीचे और झोपड़पट्टी के बीच में कच्चे नाला के जमा गंदे पानी में छुपा देते थे। पुलिस आती थी तो पता नहीं चलता था। प्रशासन की मानें तो यहां सिर्फ शराब का निर्माण ही नहीं होता था, बल्कि गांजा और स्मैक का भी कारोबार होता था। सूत्र बताते हैं कि कोढ़ा (कटिहार) गैंग के 10 से अधिक बदमाश इस झोपड़पट्टी में रहकर बेगूसराय और आसपास के इलाके में चोरी-छिनतई, झपट्टामार और लूट की घटना को अंजाम देते थे। सदर-वन DSP आनंद कुमार पांडेय बताते हैं कि, यह झोपड़पट्टी बड़े पैमाने पर अवैध शराब बनाने का अड्डा बन गया था। छिनतई और मोटरसाइकिल चोरी की घटना में शामिल बदमाश यहां अड्डा बना हुआ था। 8000 लीटर से अधिक देसी महुआ शराब बरामद की गई।


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