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म्यांमार से वेनेजुएला तक दुनियाभर में दखल दे रहा अमेरिका:कहीं राष्ट्रपति को हटाने के लिए वॉरशिप तैनात किए, तो कहीं 50% टैरिफ लगाया

अमेरिका हाल के सालों में कई देशों के चुनाव और सत्ता में सीधे दखल देता नजर आ रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की लीडरशिप में अमेरिका कहीं अपने पसंदीदा नेताओं को जिताने की कोशिश कर रहा है, तो कहीं सरकारें गिराने के लिए सैन्य और आर्थिक ताकत का इस्तेमाल कर रहा है। इसके लिए वो अलग-अलग हथकंडे भी अपना रहा है। ट्रम्प सरकार ने दूसरे देशों पर दबाव बनाने के लिए कही वॉरशिप तैनात किए हैं, कहीं भारी भरकम टैरिफ की मदद ली है। वेनेजुएला- सत्ता बदलने के लिए वॉरशिप वेनेजुएला में ट्रम्प लंबे समय से राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को हटाने की कोशिश करते रहे हैं। 2019 में उन्होंने विपक्षी नेता जुआन गुआइदो को अंतरिम राष्ट्रपति माना था। अब दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प ने मादुरो पर अमेरिका में ड्रग्स भेजने का आरोप लगाकर वेनेजुएला के पास अमेरिकी युद्धपोत तैनात कर दिए। मादुरो को सत्ता से हटाने के लिए CIA को कार्रवाई की मंजूरी दी गई और अमेरिकी सेना वेनेजुएला के तेल टैंकर जब्त कर रही है। ब्राजील- 50% टैरिफ से सीधा वार ​​​​​​​ब्राजील में ट्रम्प ने अपने करीबी माने जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थन में मौजूदा राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा सरकार पर 50% टैरिफ लगा दिया। यह किसी भी देश पर लगाया गया सबसे बड़ा अमेरिकी टैरिफ था। इसके साथ ही अमेरिका ने बोल्सोनारो के खिलाफ फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज अलेक्जांद्रे द मोराइस पर वीजा और आर्थिक पाबंदियां भी लगा दीं। साफ संदेश था कि अगर बोल्सोनारो पर कार्रवाई हुई, तो अमेरिका दबाव बनाएगा। होंडुरास- पसंदीदा उम्मीदवार को जिताने की कोशिश सेंट्रल अमेरिका के देश होंडुरास में 30 नवंबर 2025 को राष्ट्रपति चुनाव हुए। ट्रम्प ने खुलकर नसरी असफुरा का समर्थन किया और चेतावनी दी कि अगर उनका उम्मीदवार नहीं जीता, तो अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक मदद पर असर पड़ेगा। चुनाव बेहद करीबी रहे। मतगणना में देरी, तकनीकी गड़बड़ियों और धांधली के आरोपों के बीच असफुरा को विजेता घोषित किया गया। विपक्ष ने नतीजे मानने से इनकार कर दिया, लेकिन अमेरिका के दबाव को इस जीत से जोड़कर देखा जा रहा है। चुनाव के दौरान ही ट्रम्प ने होंडुरास के पूर्व राष्ट्रपति जुआन ओरलांडो हर्नांडेज की सजा माफ कर दी। उन पर अमेरिका में ड्रग्स तस्करी का बड़ा आरोप था और वे भी असफुरा की पार्टी से जुड़े रहे हैं। इसे ट्रम्प की राजनीतिक चाल माना गया। अर्जेंटीना- धमकी देकर माहौल बनाया अर्जेंटीना में 26 अक्टूबर 2025 को संसदीय चुनाव से पहले ट्रम्प ने राष्ट्रपति जेवियर मिलेई से कहा कि अगर वह हारे, तो अमेरिका अर्जेंटीना के साथ सख्ती करेगा। इस बयान से बाजार में घबराहट फैली और राजनीति और ज्यादा बंटी। आखिरकार चुनाव में मिलेई की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसे भी ट्रम्प के दबाव से जोड़कर देखा गया। म्यांमार- अमेरिका के सामने चीन की चुनौती 2020 में अमेरिका के समर्थन नोबेल विजेता मानवाधिकार कार्यकर्ता आंग सान सू की सत्ता में आईं, 2021 में तख्तापलट हुआ।​​​​​​​ अब म्यांमार में 28 दिसंबर से चुनाव होने हैं, लेकिन हकीकत यह है कि देश के आधे से ज्यादा हिस्से में वोटिंग ही नहीं होगी। वहां सैन्य शासन है और विरोधी नेताओं को पहले ही बाहर कर दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र इन चुनावों को सिर्फ दिखावा बता चुका है। यहां अमेरिका को चीनी की चुनौती का सामना करना पड़ा रहा है। चीन इस चुनाव के लिए वोटर लिस्ट, तकनीक और पर्यवेक्षक भेजकर सैन्य तानाशाह जनरल मिन आंग ह्लाइंग की सरकार को वैध दिखाने की कोशिश कर रहा है। चीन म्यांमार को हिंद महासागर तक पहुंच का रास्ता मानता है और वहां बंदरगाह, तेल-गैस पाइपलाइन और सड़क जैसे बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। गृहयुद्ध से ये प्रोजेक्ट रुके हैं, इसलिए चीन सेना को समर्थन दे रहा है, ताकि उसके हित सुरक्षित रहें। दुनिया में अमेरिका का मैसेज इन कदमों से अमेरिका यह दिखाना चाहता है कि वह अपने हितों के खिलाफ जाने वाली सरकारों को बख्शने वाला नहीं है। चाहे वह आर्थिक दबाव हो, कूटनीतिक धमकी हो या सैन्य ताकत का प्रदर्शन, ट्रम्प प्रशासन हर तरीका अपनाने को तैयार दिख रहा है। आज स्थिति यह है कि कई देशों में चुनाव और सरकारें सिर्फ वहां की जनता से नहीं, बल्कि वॉशिंगटन के रुख से भी तय होती नजर आ रही हैं।


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