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मौसम विभाग ने दी जानकारी Cyclone Ditwah कमजोर होकर गहरे अवदाब में तब्दील हुआ

चक्रवात ‘दित्वा’ कमजोर होकर रविवार रात गहरे अवदाब में तब्दील हो गया और यह मौसम प्रणाली सोमवार सुबह तक उत्तरी तमिलनाडु और पुडुचेरी के तटों से कम से कम 20 किलोमीटर की दूरी पर बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम में केंद्रित हो जाएगी। क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने यह जानकारी दी।

मौसम विभाग ने बताया कि चक्रवात दित्वा कुड्डालोर से लगभग 80 किलोमीटर पूर्व, कराईकल से 130 किलोमीटर उत्तर-पूर्व, पुडुचेरी से 90 किलोमीटर पूर्व-दक्षिण-पूर्व, वेदारण्यम से 180 किलोमीटर उत्तर-पूर्व और चेन्नई से 140 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
मौसम विभाग द्वारा रविवार देर रात जारी बुलेटिन में कहा गया है, ‘‘उत्तरी तमिलनाडु-पुडुचेरी तटों से चक्रवात के केंद्र की न्यूनतम दूरी लगभग 80 किलोमीटर है। इसके उत्तर तमिलनाडु-पुडुचेरी तटों के समानांतर उत्तर की ओर बढ़ने और कल (एक दिसंबर) सुबह तक कमजोर होकर अवदाब के क्षेत्र में तब्दील होने की संभावना है।’’
बुलेटिन में कहा गया है, ‘‘चक्रवाती तूफान पांच किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ रहा है और यह कल यानी एक दिसंबर की सुबह तक बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम में कम से कम 40 किलोमीटर और उत्तरी तमिलनाडु-पुडुचेरी तट से 20 किलोमीटर की दूरी पर केंद्रित हो जाएगा।’’

इस प्रणाली की निगरानी कराईकल और चेन्नई स्थित ‘डॉप्लर मौसम रडार’ (डीडब्ल्यूआर) द्वारा की जा रही है।
कई निजी मौसम ब्लॉगर ने बताया कि चक्रवात के रात में चेन्नई के करीब पहुंचने पर कांचीपुरम, तिरुवल्लूर, चेन्नई, चेंगलपट्टू और रानीपेट जिलों में बारिश हो सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘रात से कल सुबह तक बादल छाए रहने की संभावना है। चक्रवात खुले समुद्र में थमने से पहले कुछ और बारिश ला सकता है।’’
इससे पहले, राज्य सरकार ने कहा कि चक्रवात के कारण तमिलनाडु के कई हिस्सों में बारिश जारी रही और वर्षा से संबंधित घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गई।
राज्य के कावेरी डेल्टा जिलों में भारी बारिश के कारण रामनाथपुरम और नागपट्टिनम जिलों में सबसे अधिक बारिश हुई।
तटीय शहरों- रामेश्वरम और नागपट्टिनम में जनजीवन प्रभावित रहा, क्योंकि भारी बारिश के कारण कई निचले इलाके जलमग्न हो गए।
बुलेटिन के मुताबिक, चक्रवात के प्रभाव के कारण अगले 24 घंटे में कुड्डालोर, नागपट्टिनम, मयिलादुथुराई, विल्लुपुरम, चेंगलपट्टू, पुदुक्कोट्टई, तंजावुर, तिरुवरूर, अरियालुर, पेरम्बलुर, तिरुचिरापल्ली, चेन्नई, कांचीपुरम, तिरुवल्लूर और रानीपेट जिलों तथा पुडुचेरी और कराईकल में कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।

बुलेटिन के अनुसार, उत्तरी तटीय तमिलनाडु और पुडुचेरी में 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से तेज हवाएं चलने की संभावना है, जो बढ़कर 80 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती हैं।
बुलेटिन में कहा गया है कि समुद्री मौसम खराब रहने की आशंका है और एक दिसंबर की सुबह तक इसमें धीरे-धीरे सुधार होने की उम्मीद है।
मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
बुलेटिन में कहा गया है कि समुद्र में उतरे मछुआरों को एक दिसंबर तक दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी, मन्नार की खाड़ी, कोमोरिन क्षेत्र और तमिलनाडु, पुडुचेरी, दक्षिण आंध्र प्रदेश के आसपास के क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिए।
तमिलनाडु के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री केकेएसएसआर रामचंद्रन ने बताया कि राज्य सरकार ने राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) सहित 38 आपदा प्रतिक्रिया टीम को मुस्तैद रखा है। अन्य राज्यों की 10 और टीम शनिवार शाम को राहत एवं पुनर्वास कार्य में जुट गईं।
रामचंद्रन ने बताया कि चक्रवात ‘दित्वा’ के कारण हुई बारिश से जुड़ी घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गई है।
मंत्री ने बताया कि डेल्टा जिलों में 149 मवेशियों की जान चली गई और 57,000 हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित हुई है।

उन्होंने रविवार को राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘कल शाम से बारिश से जुड़ी घटनाओं में तीन लोगों की जान जा चुकी है। तूतीकोरिन और तंजावुर में दीवार गिरने से दो लोगों की मौत हो गई, जबकि मयिलादुथुराई में करंट लगने से 20-वर्षीय एक युवक की मौत हो गई।’’
इस बीच, दक्षिण रेलवे ने रविवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि उसने मौसम विभाग द्वारा जारी चक्रवात संबंधी अलर्ट और तमिलनाडु तथा पुडुचेरी क्षेत्रों में भारी वर्षा और तेज हवाओं की संभावना के मद्देनजर यात्रियों, रेलवे कर्मचारियों और महत्वपूर्ण रेलवे बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कमर कस ली है।
दक्षिण रेलवे ने कहा कि उसने मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को मजबूत किया है और चेन्नई, मदुरै और तिरुचिरापल्ली डिवीजन में चौबीसों घंटे सतर्कता बरती जा रही है, जो सीधे तमिलनाडु के उच्च प्रभाव वाले क्षेत्र में आते हैं।
इस चक्रवात का यमन द्वारा सुझाया गया नाम दित्वा एक लैगून को संदर्भित करता है और संभवतः यह सोकोत्रा ​​के उत्तर-पश्चिमी तट पर स्थित खारे पानी के एक बड़े लैगून ‘दित्वा’ से आया है।


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