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मोदी-शाह के आज्ञाकारी नेता होने का मिला इनाम:एक फोन आया और नितिन नबीन बन गए राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, 5 पॉइंट में जानें भाजपा ने क्यों बनाया

भाजपा ने बिहार सरकार के मंत्री नितिन नबीन को अपना राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। वह इस पद पर पहुंचने वाले सबसे युवा नेता हैं। महज 45 साल उम्र। अमित शाह जब अध्यक्ष बने थे तो उनसे 5 साल बढ़े यानी 50 साल के थे। सूत्रों के मुताबिक, नितिन नबीन को भी इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलने की भनक नहीं थी। वह पटना में अपने रूटीन कार्यक्रम में व्यस्त थे। अचानक दोपहर 3 बजे उन्हें एक फोन आया और उन्होंने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए। अपने पटना वाले आवास पहुंचे। इसके बाद एक-एक कर पार्टी के बड़े नेता पहुंचने लगे। सबसे पहले डिप्टी CM सम्राट चौधरी पहुंचे। उनके सामने ही उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की जानकारी मिली। सबसे पहली बधाई भी सम्राट चौधरी ने ही दी। 5 पॉइंट में पढ़िए, नितिन नबीन को भाजपा ने क्यों बनाया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष…। पॉइंट-1ः मोदी शाह के आज्ञाकारी, हैंडल करना आसान नितिन नबीन पार्टी के निर्देशों को बिना इफ-बट के हूबहू लागू करने वाले नेता हैं। यहां तक की सरकार में भी वह सामंजस्य बनाकर चलते हैं ताकि कोई नाराज ना हो सके। उनके सबंध सभी पार्टियों में हैं। नवीन बिहार से बाहर ज्यादा नहीं घूमे हैं। इस कारण उनकी पहचान देशभर में नहीं हैं। पॉलिटिकल एनालिस्ट प्रियदर्शी रंजन कहते हैं, ‘नितिन नबीन का कद वैसा नहीं है, जो मोदी-शाह के बिना मर्जी का फैसला ले सकें। वह जो भी फैसला लेंगे उनके हिसाब से ही लेंगे। यूं कहिए वह आज्ञाकारी नेता की भूमिका में रहेंगे।’ प्रियदर्शी रंजन कहते हैं, “नबीन की एक खूबी यह भी है कि वह महत्वाकांक्षी नहीं हैं। उनको जितना मिलता है उतने से संतोष करने वाले नेता हैं। ऐसे में टॉप लीडरशिप के लिए वह चुनौती नहीं बन सकते।’ पॉइंट-2: लो प्रोफाइल नेता, कभी भी मिल सकते 5 बार के विधायक और 3 बार के मंत्री होने के बाद भी नबीन काफी लो-प्रोफाइल नेता हैं। उनसे मिलना कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक का बहुत आसान है। कोई भी व्यक्ति रात हो या दिन कभी भी मिल सकता है। सीनियर जर्नलिस्ट राकेश प्रवीर कहते हैं, ‘नितिन नबीन काफी मिलनसार नेता हैं। बिना परिचय के लोगों से भी वह आसानी से मिल जाते हैं। कार्यकर्ताओं के लिए उनका दरवाजा चौबीसों घंटे खुला रहता है। उनके पिता भी काफी मिलनसार नेता थे।’ नबीन का पूरा परिवार RSS का करीबी रहा है। सूचना है कि नबीन के नाम को जब भाजपा के टॉप लीडरशिप ने आगे बढ़ाया तो मना नहीं कर पाया। नबीन अभी 45 साल के हैं। इनको आगे कर भाजपा ने युवा पीढ़ी को आगे किया है। पॉइंट-3ः OBC को सत्ता, फॉरवर्ड को पार्टी इस बार भी भाजपा ने पार्टी और सत्ता में OBC-फॉरवर्ड कॉम्बिनेशन को रिपीट किया है। जेपी नड्डा ब्राह्मण समाज से आते हैं। उनकी जगह पार्टी ने कायस्थ समाज से आने वाले नबीन को रिप्लेस कर फॉरवर्ड-OBC कॉम्बिनेशन को मजबूत किया है। मोदी और शाह OBC समाज से आते हैं, ऐसे में पार्टी की कमान फॉरवर्ड समाज को दी गई है। सीनियर जर्नलिस्ट अभिरंजन कुमार कहते हैं, ‘भाजपा ने सधी हुई रणनीति के तहत समीकरण को साधा है। उसे पता है कि अपने कोर वोटर को कैसे सहेजना है। भाजपा जब शून्य थी तब उसकी ताकत फॉरवर्ड होते थे। अब जब अपने उभार पर है तो उन्हें नहीं छोड़ना चाह रही है।’ पॉइंट-4ः नबीन के सहारे पूर्व और पूर्वोत्तर दोनों को साधा बिहार के पहले नेता हैं, जिन्हें भाजपा ने बड़ी जिम्मेदारी दी है। यह बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। पार्टी का फोकस पूर्व यानी बंगाल और पूर्वोत्तर को साधने का प्रयास किया है। पॉइंट-5ः छत्तीसगढ़ चुनाव जितवाया नितिन नबीन को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया था। कांग्रेस के स्ट्रांग होल्ड वाले राज्य में सरकार बनाने में नितिन नबीन की अहम भूमिका थी। इन्होंने कई बड़े सांगठनिक बदलाव किए थे, जिसका फायदा बीजेपी को मिला था। नितिन नबीन ने एक ओर बूथ स्तर पर मजबूत कार्यकर्ता नेटवर्क बनाया है। दूसरी ओर मोहल्ला मीटिंग्स, छोटे कार्यक्रमों और व्यक्तिगत संपर्क के जरिए पार्टी की इमेज मजबूत की है। यही काम उनको बिहार-बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में करना है।


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