मौका था बिहार विधानसभा चुनाव और भाजपा के सामने चुनौती थी सत्ता में बने रहने की। ऐसे में पटना के बांकीपुर से विधायक नितिन नबीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘जंगलराज का मंत्र’ दिया। इसके बाद पीएम ने अपनी रैलियों में कट्टा और दुनाली जैसे शब्दों का जमकर इस्तेमाल किया। लोगों के जेहन में लालू यादव के शासनकाल के जंगलराज की यादें ताजा कर दीं। यह NDA के लिए विनिंग फॉर्मूला बन गया। अब नितिन नबीन को बड़ा इनाम देते हुए पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी है। उनकी छवि कर्मठ कार्यकर्ता की रही है। विधायक और मंत्री रहते हुए अच्छा काम किया है। आइए जानते हैं बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने सबसे ज्यादा किन शब्दों का जिक्र किया… पहले जानिए नितिन ने कब दिया जंगल राज का फॉर्मूला अक्टूबर के शुरुआती सप्ताह में दिल्ली में भाजपा नेतृत्व की बैठक हुई थी। एजेंडा बिहार चुनाव में किन मुद्दों को उठाना है और किन नेताओं को टिकट देना है था। बिहार भाजपा के नेताओं से आलाकमान ने जमीनी स्थिति की जानकारी ली। पीएम मोदी की रैलियां होने वाली थी। इसके लिए भी प्रमुख मुद्दे तय करने थे। इसी दौरान नितिन नबीन ने पार्टी नेतृत्व को जंगलराज पर फोकस करने का सुझाव दिया था। इसी बीच चुनाव में तेजस्वी के मंच पर कट्टा, छर्रा और दुनाली जैसे गाने भी बजने लगे। बीजेपी ने इसी को मुद्दा बना लिया और पूरा चुनाव इसी के इर्द गिर्द घूमता रहा। पीएम ने 189 बार जंगलराज, 56 बार कट्टे का किया जिक्र बिहार चुनाव में NDA को 243 में से 202 सीटें मिली हैं। 89 सीटें जीतकर भाजपा पहली बार बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनी है। चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी ने जंगलराज पर सबसे ज्यादा फोकस किया था। पीएम ने 14 रैलियां कीं। इनमें 189 बार जंगलराज, 80 बार रंगदारी और 56 बार कट्टे का जिक्र किया। विक्ट्री स्पीच में भी 5 बार जंगलराज और 2 बार कट्टा का जिक्र किया था। खास बात यह रही कि जैसे-जैसे चुनाव चढ़ता गया, वैसे-वैसे पीएम के भाषणों में रंगदारी और कट्टे का जिक्र बढ़ता गया। चुनाव प्रचार के पहले दिन 18 बार और पहले फेज की वोटिंग वाले दिन 42 बार जंगलराज बोले। 14 में से 13 रैलियों में छठ का जिक्र, हर रैली में 10 बार नाम लिया प्रधानमंत्री ने 14 में से 13 रैलियों में छठ का जिक्र किया। सभी भाषणों को जोड़ दें तो कुल 132 बार। यानी हर रैली में औसतन करीब 10 बार। छठ के ठीक बाद पीएम ने 30 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर की रैली में सबसे ज्यादा 29 बार छठ का जिक्र किया। दरअसल, छठ के अगले ही दिन 29 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर में ही रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा- ‘नरेंद्र मोदी को छठ पूजा से कोई लेना देना नहीं है। उन्हें सिर्फ आपका वोट चाहिए। आप वोट के लिए उनसे कोई भी ड्रामा करवा लो वो कर देंगे। वोट के लिए उनसे कहिए स्टेज पर आकर डांस करें वो कर देंगे।’ पीएम ने राहुल के इस बयान को चुनाव में मुद्दा बनाया। उन्होंने हर रैली में छठ का जिक्र किया। मोदी ने तो 14 नवंबर को जीत के बाद भी 8 बार छठ का जिक्र किया। 14 रैलियों में 60 बार रोजगार, लेकिन 11 रैलियों में नौकरी का जिक्र नहीं पीएम ने 14 रैलियों में कुल मिलाकर 144 बार युवा-नौजवान और 60 बार रोजगार का जिक्र किया, लेकिन नौकरी का जिक्र सिर्फ 8 बार। यानी पीएम ने औसतन हर रैली में 4-5 बार रोजगार और 10 बार युवा-नौजवान का जिक्र किया, लेकिन 14 रैलियों में से 11 रैलियों में उन्होंने नौकरी शब्द का जिक्र नहीं किया। पहले फेज की वोटिंग के बाद सबसे ज्यादा एक ही रैली में उन्होंने 5 बार नौकरी शब्द का जिक्र किया था। कुल मिलाकर उन्होंने 8 बार नौकरी शब्द का जिक्र किया। जबकि इस चुनाव में विपक्ष ने नौकरी को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। आरजेडी का 318 तो कांग्रेस का 314 बार जिक्र, 58 बार नीतीश का नाम लिया कांग्रेस महागठबंधन में दूसरे नंबर की पार्टी है, लेकिन पीएम ने अपनी रैलियों में जितना आरजेडी का जिक्र किया, लगभग उतना ही जिक्र कांग्रेस का भी किया। 14 रैलियों में 318 बार आरजेडी का तो 314 बार कांग्रेस का जिक्र किया। यानी हर रैली में औसतन 22 बार। पीएम ने हर रैली में नीतीश कुमार का जिक्र किया। 14 रैलियों को मिलाकर कुल 58 बार। यानी औसतन हर रैली में करीब 4 बार। पीएम ने सबसे ज्यादा नीतीश शब्द का जिक्र अपनी पहली रैली में किया था। तब उन्होंने 10 बार नीतीश का नाम लिया था। हालांकि विक्ट्री स्पीच में उन्होंने सिर्फ 1 बार नीतीश कुमार का नाम लिया। 14 भाषणों में 73 बार मंदिर, 88 बार गरीब और 40 बार दलित का जिक्र मोदी ने अपने भाषणों में मंदिर का भी खूब जिक्र किया। 14 भाषणों को मिलाकर कुल 73 बार यानी हर रैली में औसतन 6 बार। गरीब का जिक्र 88 बार और रुपए-पैसे का जिक्र 175 बार किया। उन्होंने कुल 40 बार दलित शब्द का जिक्र किया और 64 बार पिछड़े का। 39 बार नक्सली और माओवादी शब्द का इस्तेमाल किया। जबकि, विकास शब्द का जिक्र133 बार यानी हर रैली में करीब 10 बार।
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