‘पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को अपना आदर्श मानता था। 2014 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो मैंने चोटी रखना शुरू कर दिया। भगवा गमछा कंधे पर रखता था। सरकार ने मेरी दुकान पर बुलडोजर चलाकर मेरी रोजी-रोटी छीन ली। काहे के हैं नीतीश-मोदी। दुकान की आमदनी से मैंने 2 बहनों की शादी की, 50 लोगों का परिवार चलाता था। पहले की सरकार ने कुछ नहीं किया। इस बार भी सत्ता में आते ही मेरे जैसे कितने गरीबों को उजाड़ दिया है। 5000 से अधिक लोग दुकान के सहारे रोजी-रोटी कमाते थे। सरकार ने रोजगार देने का काम तो नहीं किया, रोजगार खत्म जरूर कर रही है। ये सरकार जंगल राज ला रही है। सरकार का विरोध जताने के लिए मैं अपनी 10 साल पुरानी चोटी काट रहा…।’ ये गुस्सा और नाराजगी बेगूसराय के एक चाय वाले कुंदन का है। 4 दिन में 400 अस्थाई घर हटाए दरअसल, 6 दिन में लोहिया नगर फ्लाईओवर से नीचे और लोहिया नगर गुमटी के दोनों ओर 1 किमी के दायरे में 4 दिनों में करीब 400 अस्थाई घर और 100 दुकान हटाए गए हैं। यहां 500 परिवार रहते थे। जहां से अतिक्रमण हटाया गया वो नगर निगम की जमीन है। भास्कर की टीम मौके पर गई तो चारों तरफ गम का माहौल था। प्रशासन के जेसीबी ने किसी की दुकान, तो किसी का घर तोड़ डाला था। जमीन पर बस टूटे-फूटे सामान बिखरे पड़े थे। उन्हीं बिखरे हुए सामान के बीच दुकानदार और उनका परिवार भी था। वे बस एक नजर से अपने सामान को देख रहे थे। सोच रहे थे कि कुछ ऐसा सामान बचा हो, जिसे वे इस्तेमाल कर सके, लेकिन उनका सारा सामान बर्बाद हो चुका था। उन सामानों में परिवार की बचपन की यादें थी। कोई उस कुर्सी को देख रहा था, जिसपर बैठकर उसने पढ़ाई की थी, तो कोई उस घर को देखकर रो रहा था, जिसमें वो अपने घरवालों को महफूज रखता था। प्रशासन शहर को साफ-सुथरा बना रहा, पर अभियान ने कुछ परिवार को पलायन पर मजबूर कर दिया, ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़िए पीड़ितों का दर्द-नाराजगी… सबसे पहले इन तस्वीरों को देखिए जिसमें कई वर्षों की मेहनत बिखरी हैं… अतिक्रमण हटने के बाद पीड़ितों ने क्या कहा… सिलसिलेवार से पढ़िए… पलायन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा रेलवे स्टेशन के उत्तरी साइड में लोहिया नगर स्टैंड के पास फास्ट फूड और ठंडा की दुकान चलाने वाले सुजीत कुमार कहते हैं, मेरी दुकान टूट गई है। दादाजी ने 80 साल पहले दुकान खोली थी। अभी हम 5 भाई मिलकर शॉप चला रहे थे। दुकान से हम 25 लोगों का परिवार चल रहा था। दुकान से जो आमदनी होती थी वो हमारे लिए बहुत बड़ा सहारा था। पिताजी का देहांत हो गया तो इसी दुकान की कमाई से उनका श्राद्ध कर्म किया था। 2 भाई को इसी कमाई से पढ़ा रहे हैं। अब बाहर चले जाएंगे, पलायन करने की मजबूरी है। सड़क पर आ गए हैं। कुछ नहीं बचा है। कर्ज में 10 से 20 हजार रुपए हर महीने इसी दुकान से कमा कर देते थे। सरकार रोजगार की बात करती है, हम जैसा रोजगार का काम कर रहे थे उससे बढ़कर कोई रोजगार नहीं हो सकता। अगर इसे उजाड़ना रोजगार है तो सरकार की नजर में बहुत बढ़िया है। दुकान टूटने से डिप्रेशन में चले गए हैं। पलायन के सिवा मेरे पास कोई विकल्प नहीं है। पूरा परिवार परदेस चले जाएंगे। दुकान से बेटा परिवार के 15 लोगों का भरण-पोषण करता था संजू देवी ने बताया कि बेटा दुकान चलाता था। दुकान की आमदनी से वो परिवार के 15 लोगों का भरण-पोषण करता था। 2 बेटियों की शादी इसी दुकान से हमने की है। एक बेटी विधवा हो गई है। उसके परिवार में 4 लोग हैं। उनका भी भरण-पोषण इसी दुकान से होता था, लेकिन अब सब कुछ बर्बाद हो गया है। बिना कुछ कहे और बिना नोटिस दिए हमारी दुकानों को तोड़ दिया। अब हमारा परिवार कैसे रहेगा। वे लोग डायरेक्ट आए और बुलडोजर चलाने लगे। पिता-ससुरा और दामाद इसी जमीन पर गुजरे संजू कहती हैं कि बगल में ही अस्थाई घर बनाकर रहते थे, घर का भी सब सामान बर्बाद हो गया। हम लोगों के पास पैसे नहीं है, न कहीं कोई जमीन है। हम कहते रहे कि समय दीजिए, लेकिन कोई सुनने के लिए तैयार नहीं हुआ। सबको फोन किया जब तक और लोग आए, तब तक बर्बाद हो गए। पूरा मोहल्ला रो रहा है, सभी दुकानदार रो रहे हैं। हम शादी करके यही पर आए थे, ससुर-पति की मौत यहीं हुई। दामाद बीमार हुआ तो उसमें लाखों लाख रुपए खर्च कर्ज लेकर किए, लेकिन दामाद को भी नहीं बचा सके, अब क्या करें। अंबानी बनना चाहता था मैं कुंदन ने कहा कि मेरे दादा जी ने चाय दुकान खोली थी। जिसे चाचा, पिताजी ने भी चलाया और अब मैं चला रहा हूं। अतिक्रमण के नाम पर मेरी दुकान को तोड़ दी। हमारी जिंदगी उजाड़ दी गई। इस सरकार को अगले चुनाव में हम बदल देंगे। जिसे आदर्श मानकर मैंने चोटी रखी थी 10 साल बाद मैंने उसे कटवा लिया है। भगवा गमछा कुत्ते के गले में बांध डाला।’ मैं चाहता था कि अंबानी की तरह मैं धनवान बनूं। इसलिए अपने मोहन टी स्टॉल के बैनर पर मुकेश अंबानी का भी फोटो लगाया था। 2029 के बाद जनता जवाब देगी सरकार से अनुरोध करते हैं कि जैसे हम लोगों को हटाया, उसी तरीके से हम लोगों को रोजगार दीजिए। रोजगार नहीं देंगे तो आप जब तक सत्ता में हैं हीरो हैं, उसके बाद क्या होगा, वह भगवान महादेव जानते हैं। जितना परिवार उजड़ गया है, उसकी आह और श्राप सरकार को लगेगा। इसी मनमानी के कारण लालू-राबड़ी का क्या हाल जनता ने कर दिया था, आपकी स्थिति इससे भी खराब होने वाली है। 2029 तक जिस पर बुलडोजर चलना है चला दीजिए, जिसके छाती पर चलाना है चला दीजिए, लेकिन जनता हिसाब ले लेगी। हम जहां हैं वहां रहेंगे, यहां से तभी हटेंगे, जब कहीं और जगह मिलेगी। सोचा था की दुकान अच्छा चल रहा है साल भर बाद कहीं छोटा-सा जमीन लेकर रहना शुरू कर देंगे। हमने अपने आदर्श मुकेश अंबानी और नरेंद्र मोदी का फोटो लगाया था, अंबानी और मोदी का फोटो देखकर हम रोज प्रेरित होते थे, लेकिन अब तो कुछ बचा ही नहीं।
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