बगहा व्यवहार न्यायालय ने मोतिहारी केंद्रीय कारा अधीक्षक के वेतन भुगतान पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। यह कार्रवाई एक लंबित आपराधिक मामले में अभियुक्त को अदालत में प्रस्तुत न करने पर की गई है। न्यायालय ने मोतिहारी डीएम को जीवन निर्वाह भत्ता छोड़कर वेतन रोकने का आदेश जारी किया है। साथ ही, 23 दिसंबर 2025 तक न्यायिक आदेश के अनुपालन में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ मानवेंद्र मिश्र ने अभियुक्त को अदालत में पेश न किए जाने पर गंभीर नाराजगी व्यक्त की। यह मामला बगहा के ठकराहा थाना कांड संख्या 59/2010, STR नंबर 661/2013 से संबंधित है। इसमें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत आरोपी का बयान अभी तक दर्ज नहीं हो सका है, जिससे 15 वर्ष पुराने इस वाद की सुनवाई में अनावश्यक विलंब हो रहा है। बगहा जेल से मोतिहारी केंद्रीय कारा में स्थानांतरित किया गया था मामले का आरोपी, ठकराहा थाना क्षेत्र के हरख टोला निवासी सजायाफ्ता बंदी रामानंद यादव है। उसे 1 मार्च 2025 को बगहा जेल से मोतिहारी केंद्रीय कारा में स्थानांतरित किया गया था। अभियुक्त की सदेह उपस्थिति अनिवार्य होने के बावजूद एक वर्ष से उसे अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। अदालत द्वारा 6 मार्च 2025 को प्रोडक्शन वारंट जारी अदालत द्वारा 6 मार्च 2025 को प्रोडक्शन वारंट जारी किया गया था। इसके बाद 29 नवंबर 2025 को कारा अधीक्षक बगहा को उपस्थापन हेतु अधिपत्र निर्गत किया गया। बगहा कारा अधीक्षक ने ज्ञापांक 2807, दिनांक 29-11-2025 के माध्यम से मोतिहारी केंद्रीय कारा अधीक्षक को पुनः आदेश भेजकर अवगत भी कराया। साक्ष्य पूर्ण होने के बाद भी आगे की सुनवाई बाधित इन निर्देशों के बावजूद मोतिहारी कारा प्रशासन द्वारा अभियुक्त को पेश नहीं किया गया। इसके कारण नौ साक्षियों का साक्ष्य पूर्ण होने के बाद भी आगे की सुनवाई बाधित है। अदालत ने स्पष्ट कहा है कि आरोपी की गैर-उपस्थिति से न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। इसी आधार पर अदालत ने मोतिहारी केंद्रीय कारा अधीक्षक पर कड़ी कार्रवाई करते हुए वेतन रोकने और डीएम को निर्धारित अवधि में अनुपालन रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
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