महाराष्ट्र के मालेगांव में मतदाताओं से की गई उनकी आपके पास वोट हैं और मेरे पास फंड टिप्पणी पर उठे विवाद के बीच, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि यह “धमकी नहीं थी”। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी अजित पवार की “वोट फॉर फंड” टिप्पणी पर उठे विवाद को खारिज करते हुए कहा कि चुनावों के दौरान ऐसी टिप्पणियां अक्सर की जाती हैं।
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार के ‘वोट दो, तभी फंड मिलेगा’ वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसे गंभीर भेदभावपूर्ण इरादा नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि यह चुनावी अभियान की ‘अनजानी बयानबाजी‘ है। फडणवीस ने कहा कि ‘चुनावी भाषणों में कई बातें कह दी जाती हैं, लेकिन उनका वास्तविक अर्थ वही नहीं होता’ और पवार का इरादा भेदभाव करना नहीं हो सकता। फडणवीस ने स्पष्ट किया कि महायुति सरकार का उद्देश्य पूरे राज्य का समान विकास है और कोई भी क्षेत्र फंड के लिए राजनीतिक शर्तों का शिकार नहीं होगा। दरअसल, अजित पवार ने नगर पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान कहा था- ‘अगर आप 18 एनसीपी उम्मीदवारों को चुनेंगे तो फंड की कमी नहीं होगी अगर आप हमें नकारेंगे, तो मैं भी नकार दूंगा।’
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इस बयान को लेकर विपक्ष हमलावर है। एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले ने नागपुर में कहा कि निर्वाचन आयोग को ऐसे बयानों की निगरानी करनी चाहिए, लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा। उन्होंने दावा किया कि निर्वाचन आयोग में दायर उनके मामले में भी उन्हें न्याय नहीं मिला। सुले ने कहा कि समाज में आयोग पर भरोसा घट रहा है और ऐसे बयान निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं।
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