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‘मेरे सामने चाचा का सिर कट-कटकर मशीन में गिरा’:भजीता बोला- आधी बॉडी सुन्न थी, पैर हिलते रहे; बिना सिर के हुआ अंतिम संस्कार

‘मैं घटना के वक्त दूसरी थ्रेशर मशीन में धान की कटाई कर रहा था। इस दौरान मुझे अचानक खट-खट की तेज आवाज सुनाई दी। जैसे ही मैंने पीछे पलटकर देखा, चाचा का पूरा सिर थ्रेशर मशीन में जा चुका था। मेरे सामने उनका सिर के हिस्से कट-कटकर मशीन में गिर रहे थे। उनकी आधी बॉडी सुन्न हो चुकी थी। पैर हिल रहे थे। मैं भागते हुए घर पहुंचा। वहां परिवार वालों को बताया। हम लोग जैसे ही घटनास्थल पर पहुंचे, मशीन बंद हो चुकी थी। साथ ही चाचा के शरीर का आधा हिस्सा थ्रेशर मशीन में जा चुका था। मैंने अपनी आंखों के सामने चाचा को मौत के मुंह में जाते हुए देखा है। ये कहना है पिंकेश कुमार का…जिसके चाचा की थ्रेशर मशीन से कटकर मौत हो गई। मंगलवार की शाम 6 बजे एक मजदूर की थ्रेशर मशीन के अंदर फंसने से मौत हो गई। मजदूर की आधी बॉडी मशीन के अंदर ही फंसी रह गई। घटना से करीब साढ़े 6 घंटे बाद 12.30 बजे रात में बॉडी निकाली गई है। मृतक की पहचान भगलपुरा गांव के पुतुल पासवान के 25 साल के बेटे संजीव पासवान के रूप में हुई है। दैनिक भास्कर की टीम जिला मुख्यालय से 60KM दूर संजीव के गांव पहुंची। हादसे वाली जगह पर अब भी खून के स्पॉट और छींटे दिख रहे हैं… संजीव को बचाने का मौका भी नहीं मिला अश्वनी यादव बताते हैं, ‘मैं और संजीव दोनों दोस्त हैं। वो जहां भी मजदूरी करने जाता था, मुझे अपने साथ ले जाता था। मंगलवार की शाम 6 बजे हम और संजीव अपना-अपना काम निपटा रहे थे। उस समय हम सब मशीन पर ही थे। मैं पुआल उठाकर बोरे में डाल रहा था। वहीं, संजय पुआल को मशीन में दे रहा था। मेरे से करीब 10 मीटर की दूरी पर संजय काम कर रहा था। संजीव के थ्रेशर मशीन में पुआल का मालवा फंस गया था। संजीव उसे निकालने की कोशिश कर रहा था। जैसे ही उसने हाथ अंदर डाला, अचानक मशीन ने उसे खींच लिया। कुछ सेकेंड में उसका आधा शरीर पिस गया। हमलोग रोने लगे। ऐसा हादसा पहले कभी नहीं देखा था। संजीव को बचाने का कोई मौका ही नहीं मिला। सब कुछ चंद सेकेंड में खत्म हो गया।’ पत्नी-बच्चों को रोता देख मैं मौके पर से कुछ दूर चला गया घटना के चश्मदीद गिरीश पासवान ने बताया, ‘हम सभी पुआल की तैयारी कर रहे थे। इसी दौरान किसी तरह वह धोखे से मशीन में चला गया। इसमें किसी की गलती नहीं है। जब हमने यह दृश्य देखा तो हमें ऐसा लगा जैसे मौत सामने खड़ी हो। जब संजीव मशीन में गया, तो मशीन जाम हो गई और बंद हो गई। मेरी पत्नी और बच्चे रोने लगे। डर से हमलोग कुछ देर के लिए वहां से हट गए थे। हमारे मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी। खून की छींटे इधर-उधर पड़ी थी। मशीन में जाते ही तुरंत उसकी मौत हो गई।’ मेरी कोई गलती नहीं है, मुझे मारने की धमकी मिल रही गिरीश का आरोप है कि ‘हादसे के बाद गांव के कुछ लोग उन्हें धमका रहे हैं। लोगों का कहना है, अगर तुम घर से निकले तो जान से मार देंगे। इस घटना में मेरी कोई गलती नहीं है। हमलोग डरे-सहमे हैं। घटना वाले दिन मेरी तबीयत खराब थी। हम शाम 6 बजे तक अपना काम बंदकर घर जाने वाले थे। इससे पहले ही संजय मशीन में फंस गया। घटना से कुछ घंटे पहले तक उसने मुझे बहुत हंसाया था। बहुत काबिल लड़का था। 6 बजे हम बोले भी कि अब संजय छोड़ दो, कल आकर ये काम करना। वो बोला नहीं कक्का, कल कहीं और मजदूरी कर लेंगे। आज पूरा खत्म कर के ही घर जाएंगे। इतना बोलते ही 2 मिनट के अंदर वो मशीन में फंस गया।’ 300 मीटर दूर तक सिर की हड्डी टूटने की आवाज आई मृतक की भाभी अंजनी देवी बताती हैं, ‘संजीव हमारा देवर था। हमारी जेठानी का बेटा वहीं, आसपास था। उसी ने उसे मरते हुए देखा है। वह घबरा कर हल्ला करता हुआ घर भागा। जब हम पहुंचे तो थ्रेसर में उसका शरीर फंसा हुआ था। मशीन के अंदर जब उसकी हड्डियां टूट रही थीं, तो गोली जैसी ‘फटाक-फटाक’ आवाज आ रही थी। यह आवाज करीब 300 मीटर दूर तक सुनाई दे रही थी।’ ग्रामीणों के मुताबिक, ‘यह आवाज इतनी भयानक थी कि आसपास के लोग अपने-अपने घरों से दौड़ते हुए खलिहान की ओर आ गए।’ वहां जो देखा, उसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता मृतक के पिता पुतुल पासवान की आवाज अपने बेटे के मौत की कहानी बताते ही कांप जाती है। आंखें सूनी हो जाती हैं। पुतुल पासवान कहते हैं, ‘हम घर पर नहीं थे। हमारा पोता छोटू खलिहान पर था। वही हल्ला करते हुए घर आया कि संजीव चाचा थ्रेसर में आ गए हैं। यह सुनते ही हम दौड़ते हुए खलिहान पहुंचे।’ ‘वहां जो देखा, उसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता। अपने बेटे को आंखों के सामने मरते हुए देखे हैं। एक लाचार पिता उसे बचाने के लिए कुछ नहीं कर सका। संजीव का आधा शरीर थ्रेसर के अंदर था। हम वहीं बेहोश होकर गिर गए। उसके बाद पूरा परिवार, भाई, भाभी, चाचा और गांव के लोग दौड़ पड़े, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसकी मौत हो चुकी थी।’ मौत का नजारा देख होश उड़ गए ग्रामीण नीलांबर पासवान ने बताया, ‘हम धान कुटने के लिए पास के गांव गए थे। लौटे तो घर में साइकिल से बोरी उतार रहे थे। तभी हल्ला सुनाई दिया। पहले लगा कि कहीं सांप निकल आया होगा। लाठी लेकर बाहर निकले, तभी भतीजा दौड़कर आया और बोला चाचा (संजीव) थ्रेसर में चला गया। जबतक हम खलिहान पहुंचे, उसकी मौत हो गई थी। वो नजारा देखकर होश उड़ गए। समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करें।’ मां बेटे का चेहरा तक नहीं देख सकी मृतक की मां बिंदु देवी ने बताया, ‘मेरा पैर टूटा हुआ है। पैर में स्टील लगा है। जिस समय घटना हुई, चाहकर भी मैं अपने मरे हुए बेटे को देखने नहीं जा सकी। जब शव ले जाया जा रहा था, तब देर रात कुछ लोग मुझे उठाकर गांव के बाहर ले गए। वहां से सिर्फ गाड़ी पर एक झलक देखने को मिला। मरने के बाद अपने बेटे का चेहरा भी देखने को नसीब नहीं हुआ।’ उनकी आवाज रुक-रुक कर निकल रही थी। आंखें सूनी थी। परिवार से बात कर के हम उस जगह पहुंचे जहां ये घटना हुई। तस्वीरें देखकर हम भी हैरान हो गए… जिस दिन मौत उसी दिन शादी को एक महीने हुए थे संजीव की शादी 16 नवंबर को हुई थी। पत्नी श्रृष्टि कुमारी अभी सदमे से उबर नहीं पाई हैं। वह फूट-फूटकर रोते हुए बताती हैं, ‘मंगलवार की सुबह हमने पति को चाय बनाकर दी थी। जब हमारी चाय खत्म हो गई, तो उन्होंने अपनी चाय लाकर हमें दे दिया, फिर वो काम पर चले गए। दोपहर में आए और मोबाइल चार्ज में लगाने को दिया। शाम को हम खाना बना रहे थे। हमारी सास वहीं बैठी थीं। तभी अचानक हल्ला हुआ, संजीव की मौत हो गई है। पति ने जाने से पहले कहा था, हमलोग रात में साथ बैठकर खाना खाएंगे, लेकिन अब मेरे साथ कौन खाएगा। हमारी शादी को हादसे वाले दिन(16 नवंबर) एक महीने ही हुए थे। अब तक चार बार पति ससुराल गए थे। सबको बहुत मानते थे। अचानक मुझे छोड़कर चले गए। अब मैं कैसे रहूंगी।’ संजीव की पत्नी उन्हें याद कर के रोती रहीं, उन्होंने हमें रोते-रोते कुछ तस्वीरें दिखाईं…


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