मेरठ की सेंट्रल मार्केट की 22 दुकानें ध्वस्त होने के बाद आवास विकास के अधिकारियों का कहना है कि अभी 31 भूखंड़ों को और भी नोटिस दिया गया है। उन पर भी जल्द ही कार्रवाई होने की संभावना है। इस खबर को सुनने और कार्रवाई को देखने के बाद व्यापारियों में रोष है और वह इसका जिम्मेदार आवास विकास के अधिकारी और जनप्रतिनिधियों को मान रहे हैं। व्यापारी नेता जितेंद्र अग्रवाल ने बताया कि जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह कार्रवाई हुई है हमने उसका कोई विरोध नहीं किया । लेकिन जिस प्रकार पूरे देश में आदेश है तो इसकी शुरूआत सेंट्रल मार्केट से ही क्यों कि गई है। हम भाजपा के कोर वोटर होने के बाद भी हमारे ऊपर ही तलवार लटक गई है। हमने अब अनिश्चित बंदी की घोषणा कर दी है क्योंकि आज न कल हमारे प्रतिष्ठान टूटने ही हैं तो हम उस से पहले ही इन्हे बंद कर देंगे। आवास विकास ने कि जातिगत कार्रवाई व्यापारियों ने आरोप लगाया है कि नाम का एक आवास विकास का अधिकारी अफताब अंसारी है उसने जातिगत भेदभाव किया है । वह लगातार यही बात बोलता है कि भाजपा सरकार में तुम्हारे अच्छे दिन आ गए हैं। वह जब भी मिलता तो तभी कहता है कि तुम्हारी सरकार में ही तुम्हारी दुकानों को तोड़कर मिट्टी में मिला दिया जाएगा। बीच का रास्ता निकाले प्रशासन व्यापारियों ने कहा कि हम अनिश्चितकालीन बंदी की घोषणा करते हैं, प्रशासन जब तक हमे लिखित में यह नहीं देता कि भविष्य में कोई तोड़फोड़ हमारे प्रतिष्ठानों में नहीं की जाएगी । तभी ही हम अपनी दुकानें खोलेंगे। 40 साल बाद क्यों तोड़ी गई दुकानें सेंट्रल मार्केट में व्यापार संघ के महामंत्री निमित जैन ने बताया कि यह कॉम्पलेक्स एक दिन में तैयार नहीं हुआ है । अगर यह वैध नहीं था तो यहां रजिस्ट्री, निर्माण कार्य क्यों कराने दिए गए। अधिकारियों ने पैसा लेकर यहां सभी कार्य कराए हैं और अब उन्हीं की साठगांठ पर यह तोड़ा गया है। जनप्रतिनिधि हमारे बीच आंए तो सही व्यापारियों ने कहा कि हम मानते हैं यह आदेश माननीय न्यायालय का है इसमे न कोई कुछ कर सकता है और हम भी इस फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन हमारे जो जनप्रतिनिधि हैं उनको आज हमारी इस दुख की घड़ी में हमारे बीच पहुंचकर हमे सांत्वना देनी चाहिए थी कि न कि इस प्रकार मौन होकर हमारी बर्बादी देखनी थी।
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