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मिसाल बनी 105 वर्ष पुरानी गौशाला

सिटी रिपोर्टर | शेखपुरा वर्ष 1920 ईस्वी में स्थापित शेखपुरा का ऐतिहासिक गौशाला आज अपने बदले हुए स्वरूप और सुव्यवस्थित व्यवस्था को लेकर लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गई है। गौशाला का सौंदर्यीकरण ऐसा किया गया है कि इसे देखकर हर कोई आश्चर्यचकित और भावविभोर हो जाता है। वर्तमान में गौशाला में 100 से अधिक गायें सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में रखी गई हैं। गायों की नियमित देखभाल, साफ-सफाई और खान-पान के लिए मजदूरों की भी विधिवत बहाली की गई है, जिससे गौशाला का संचालन सुचारू रूप से हो रहा है। गौशाला के सचिव अमित कुमार ने बताया कि यहां प्रतिदिन साफ-सफाई के साथ-साथ गायों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाता है। समय-समय पर उनकी जांच, चारे की व्यवस्था और सुरक्षित आवास सुनिश्चित किया जाता है। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं की आस्था भी गौशाला से गहराई से जुड़ी हुई है। प्रत्येक गुरुवार को श्रद्धालु गायों को गुड़ और चना खिलाकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। इसके अलावा गौशाला में जन्मदिन, शादी की सालगिरह और बच्चे के जन्मोत्सव जैसे शुभ अवसरों पर तुलादान कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है, जिससे सामाजिक और धार्मिक सहभागिता को बढ़ावा मिल रहा है। गौशाला के सौंदर्यीकरण और सुव्यवस्थित संचालन में मुख्य संरक्षक अनिल कुमार सुनील की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। उनके नेतृत्व में एक सक्रिय और समर्पित टीम का गठन किया गया है, जो दिन-रात गौशाला की देखरेख में जुटी हुई है। इसी टीम के प्रयासों का परिणाम है कि आज यह गौशाला न केवल जिले में बल्कि पूरे बिहार में अपनी पहचान बना चुकी है। गौशाला का यह नया स्वरूप न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि पशु संरक्षण और सेवा का एक अनुकरणीय उदाहरण भी बनकर उभरा है।


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