पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में तिलक के लिए केवल चावल का उपयोग किया जाता है. दरसअल, सनातन परंपरा में चावल को अक्षत माना गया है. जो कभी नष्ट न हो. यह पवित्रता, समृद्धि और स्थायित्व का प्रतीक है. इसलिए शुभ कार्यों, पूजा-पाठ और त्योहारों में चावल का तिलक लगाने की परंपरा है.
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