महाराष्ट्र और कर्नाटक नहीं, इस राज्य में मिलती है देशभर में सबसे ज्यादा दिहाड़ी
भारत में साल 2025 की आर्थिक स्थिति यह दिखाती है कि देश के अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रोज़ाना की मज़दूरी (daily wage) में बड़ा फर्क है. औसतन मजदूरी जहां 1,077 रुपए के आसपास है, वहीं कुछ विकसित और शहरी राज्य इससे काफी आगे हैं.
दिल्ली सबसे ऊपर, महाराष्ट्र और कर्नाटक पीछे
केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली देश में सबसे ज्यादा औसत मज़दूरी देने वाला इलाका है, जहां रोज़ की औसत मजदूरी 1,346 रुपए है. इसका मुख्य कारण है यहां सरकारी दफ्तरों, वित्तीय संस्थानों और बड़ी कंपनियों के मुख्यालयों की अधिकता.
दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर कर्नाटक (1,269 रुपए) और तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र (1,231 रुपए) हैं. यह साफ दिखाता है कि बेंगलुरु और मुंबई भारत की तकनीक और सेवा क्षेत्र की ताकत बन चुके हैं.
2025 में सबसे ज्यादा औसत मजदूरी वाले 10 राज्य
- दिल्ली ₹1,346
- कर्नाटक ₹1,269
- महाराष्ट्र ₹1,231
- तेलंगाना ₹1,192
- हरियाणा ₹1,154
- तमिलनाडु ₹1,115
- गुजरात ₹1,077
- उत्तर प्रदेश ₹1,038
- आंध्र प्रदेश ₹1,000
- पंजाब ₹962
बड़े शहरों में ज्यादा सैलरी का कारण क्या है?
यह अंतर इस बात पर निर्भर करता है कि किसी राज्य में उद्योग, आर्थिक विविधता और कुशल श्रमिकों की संख्या कितनी है. दिल्ली को गुरुग्राम और नोएडा जैसे इलाकों का फायदा मिलता है, जहां बड़ी कंपनियां मौजूद हैं. कर्नाटक में आईटी और टेक्नोलॉजी सेक्टर सबसे ज्यादा नौकरी और बेहतर वेतन देता है. महाराष्ट्र और पुणे में मैन्युफैक्चरिंग, फाइनेंस और फिल्म इंडस्ट्री का बड़ा योगदान है.
वहीं तेलंगाना, तमिलनाडु और हरियाणा जैसे राज्य फार्मा, आईटी और ऑटो सेक्टर में तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे वहां मजदूरी बढ़ रही है. लेकिन इसके विपरीत, कई ग्रामीण और पूर्वी राज्यों में मजदूरी अभी भी कम है क्योंकि वहां अब भी खेती और अनौपचारिक मजदूरी पर निर्भरता ज्यादा है.
क्या करना होगा सुधार के लिए
देश में मजदूरी की इस खाई को पाटने के लिए स्किल डेवलपमेंट, उद्योगों का छोटे शहरों तक विस्तार और लेबर रिफॉर्म्स बेहद जरूरी हैं. तभी देशभर के मजदूरों को समान अवसर और बेहतर आमदनी मिल पाएगी.
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