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महामना मदन मोहन मालवीय की 164वीं जयंती:सीवान में प्रतिमा पर माल्यार्पण श्रद्धांजलि, मंत्री मंगल पाण्डेय सहित कई कई नेता उपस्थित

सीवान शहर के मालवीय चौक स्थित महामना मदन मोहन मालवीय की आदमकद प्रतिमा पर उनकी 164वीं जयंती के अवसर पर गुरुवार को भव्य माल्यार्पण एवं श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सदर विधायक सह बिहार सरकार के स्वास्थ्य एवं विधि मंत्री मंगल पाण्डेय सहित जिले के अनेक गणमान्य नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद् और बुद्धिजीवी वर्ग के लोग उपस्थित रहे। सभी ने महामना की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके विचारों और योगदान को नमन किया। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उमड़ा सम्मान का भाव कार्यक्रम के दौरान मालवीय चौक का वातावरण देशभक्ति और सम्मान के भाव से ओतप्रोत नजर आया। महामना मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा को फूल-मालाओं से सजाया गया था। उपस्थित लोगों ने एक-एक कर प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम में शामिल लोगों ने महामना के चित्रों के साथ फोटो खिंचवाए और उनके जीवन से जुड़ी स्मृतियों को साझा किया। महामना के जीवन और व्यक्तित्व पर वक्ताओं ने डाला प्रकाश श्रद्धांजलि कार्यक्रम के उपरांत आयोजित संक्षिप्त सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने महामना मदन मोहन मालवीय के जीवन, उनके संघर्ष, उपलब्धियों और राष्ट्र निर्माण में दिए गए अतुलनीय योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि महामना केवल एक महान शिक्षाविद् ही नहीं थे, बल्कि वे स्वतंत्रता आंदोलन के प्रखर सेनानी, समाज सुधारक, पत्रकार और न्यायप्रिय वकील भी थे। उन्होंने कहा कि महामना का संपूर्ण जीवन राष्ट्र सेवा, शिक्षा के प्रसार और सामाजिक समरसता के लिए समर्पित रहा। वे भारतीय संस्कृति और मूल्यों के सच्चे संवाहक थे, जिनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय: दूरदृष्टि का जीवंत उदाहरण सभा में वक्ताओं ने महामना द्वारा काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की स्थापना के लिए किए गए अथक प्रयासों को विशेष रूप से याद किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार महामना ने देश के कोने-कोने में घूमकर धन और जन सहयोग एकत्र किया और शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक संस्थान की नींव रखी। वक्ताओं ने कहा कि बीएचयू आज न केवल देश बल्कि विश्व के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में गिना जाता है। यह महामना की दूरदृष्टि, संकल्प और शिक्षा के प्रति उनके समर्पण का जीवंत प्रमाण है। उन्होंने कहा कि महामना मानते थे कि शिक्षा ही राष्ट्र को सशक्त और आत्मनिर्भर बना सकती है। काकोरी कांड और महामना का न्यायप्रिय व्यक्तित्व कार्यक्रम में महामना के वकालत जीवन का उल्लेख करते हुए वक्ताओं ने काकोरी कांड का उदाहरण प्रस्तुत किया। बताया गया कि जब इस मामले में 172 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई, तो महामना इससे अत्यंत व्यथित हुए। इसके बाद उन्होंने पुनः वकालत के क्षेत्र में सक्रिय होकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी असाधारण प्रतिभा और मानवीय दृष्टिकोण का परिचय दिया। वक्ताओं ने कहा कि महामना के प्रयासों से 151 आरोपियों को फांसी की सजा से मुक्त कराया गया। यह घटना उनके न्यायप्रिय, संवेदनशील और मानवतावादी व्यक्तित्व को दर्शाती है, जो उन्हें अन्य महान विभूतियों से अलग स्थान दिलाती है। मंत्री मंगल पाण्डेय का संबोधन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य एवं विधि मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि महामना मदन मोहन मालवीय जैसे महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलकर ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि महामना ने शिक्षा, न्याय और राष्ट्रसेवा को अपना जीवन लक्ष्य बनाया, जिससे आज की पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। मंत्री ने कहा कि जिस प्रकार महामना ने समाज में शिक्षा की अलख जगाई, उसी भावना के साथ वर्तमान सरकार भी शिक्षा को सुलभ, गुणवत्तापूर्ण और सर्वसुलभ बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे महामना के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं। महामना के आदर्शों पर चलने का संकल्प कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी लोगों ने महामना मदन मोहन मालवीय के आदर्शों, मूल्यों और विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया। वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा, सामाजिक समरसता और राष्ट्रहित के लिए महामना के दिखाए मार्ग पर चलकर ही सशक्त भारत का निर्माण संभव है। श्रद्धा, सम्मान और प्रेरणा के साथ यह आयोजन संपन्न हुआ, जिसने महामना मदन मोहन मालवीय के योगदान को एक बार फिर जनमानस के बीच जीवंत कर दिया।


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