गयाजी में विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर परिसर सोमवार को पूरी तरह अध्यात्म में डूबा हुआ नजर आया। पवित्र बोधि वृक्ष के नीचे वर्ष 2025 की काग्यू मोनलम प्रार्थना का भव्य और विधिवत शुभारंभ हुआ। इस मौके पर देश ही नहीं, विदेशों से आए बौद्ध भिक्षु, लामा और हजारों श्रद्धालु और बौद्ध धर्मावलंबी एकत्र हुए। सामूहिक प्रार्थना के दौरान मंत्रोच्चार से पूरा परिसर गूंज उठा। वातावरण में शांति, करुणा और विश्व कल्याण की अनुभूति साफ महसूस की गई। सुबह से ही महाबोधि मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। पवित्र बोधि वृक्ष के नीचे भिक्षुओं और लामाओं ने पारंपरिक वेश में स्थान ग्रहण किया। काग्यू परंपरा के अनुसार विशेष प्रार्थनाएं की गईं। करुणा, अहिंसा और मानव कल्याण के संदेश के साथ विश्व शांति की कामना की गई। मंत्रोच्चार और ध्यान के दौरान परिसर में मौजूद हर व्यक्ति गहरे ध्यान में डूबा दिखा। प्रार्थना का विशेष आध्यात्मिक प्रभाव काग्यू मोनलम प्रार्थना बौद्ध धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस आयोजन का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी मानवता के लिए शांति, सद्भाव और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना है। मान्यता है कि बोधि वृक्ष के सान्निध्य में की गई प्रार्थना का विशेष आध्यात्मिक प्रभाव होता है। इसी विश्वास के साथ श्रद्धालुओं ने ध्यान, साधना और प्रार्थना में भाग लिया। श्रद्धालुओं में उत्साह आयोजन के दौरान महाबोधि मंदिर परिसर में अनुशासन और शांति का विशेष ध्यान रखा गया। स्वयंसेवक और आयोजन समिति के सदस्य व्यवस्थाओं में जुटे रहे। विदेशी श्रद्धालुओं में भी इस पावन अवसर को लेकर खासा उत्साह देखा गया। कई श्रद्धालुओं ने इसे जीवन का अविस्मरणीय अनुभव बताया। काग्यू मोनलम प्रार्थना के शुभारंभ के साथ ही बोधगया एक बार फिर वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में दुनिया के सामने उभरा है। आने वाले दिनों में भी प्रार्थनाओं और ध्यान सत्रों का सिलसिला जारी रहेगा, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।
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