भारतीय संस्कृति में किसी परिवार का टूटना अच्छा नहीं माना जाता. राजनीतिक कारणों से ही सही, बाल ठाकरे के रहते उद्धव और राज ठाकरे का अलग हो जाना भी दुखी करने वाला था. लेकिन, अब 20 साल बाद वे जिस गरज से साथ आए हैं, वो स्वाभाविक मिलन से ज्यादा, मजबूरी नजर आ रहा है.
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