सहरसा जिला मुख्यालय में सोमवार को वामपंथी दलों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में प्रस्तावित बदलावों और केंद्र सरकार द्वारा बजट में कटौती के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान शहर के वीर कुंवर सिंह चौक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला दहन किया गया। प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद सदस्य ओमप्रकाश नारायण ने बताया कि मनरेगा को 5 सितंबर 2005 को संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण गरीबों को 100 दिनों का सुनिश्चित रोजगार देकर उनकी क्रयशक्ति बढ़ाना था। यह योजना 1 अप्रैल 2008 से पूरे देश में लागू की गई थी, जिसमें खर्च का 90 प्रतिशत केंद्र सरकार और 10 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करती थी। ‘जी राम जी विकसित भारत’ के नाम पर योजना बदलने की साजिश उन्होंने आरोप लगाया कि अब केंद्र सरकार ‘जी राम जी विकसित भारत’ के नाम पर इस योजना के मूल स्वरूप को बदलने की साजिश कर रही है। उनका दावा है कि सरकार खर्च का अनुपात 60:40 करने की गरीब विरोधी नीति लागू करना चाहती है, जो स्वीकार्य नहीं है। सीपीएम जिला सचिव रणधीर यादव ने कहा कि ‘डबल इंजन’ की सरकार सुनियोजित तरीके से गरीबों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के दबाव में बिहार सरकार भी नतमस्तक है। यादव ने आगे कहा कि मनरेगा में मजदूरी बढ़ाने और काम के दिनों में वृद्धि करने के बजाय, सरकार कानून का नाम बदलकर और राष्ट्रपति के नाम को हटाकर एक नया ‘जी राम जी विधेयक’ लाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने इसे एक ‘काला कानून’ बताया। वक्ताओं ने केंद्र सरकार पर मनरेगा को कमजोर कर अंततः इसे बंद करने की साजिश रचने का आरोप लगाया। वामपंथी नेताओं ने स्पष्ट किया कि जब तक ‘जी राम जी विधेयक’ को वापस नहीं लिया जाता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। पुतला दहन कार्यक्रम में सीपीआई जिला सचिव प्रेमानंद ठाकुर, शंकर कुमार, प्रभुलाल दास, बिंदेश्वरी साहनी, अखिलेश कुमार, हरदेव पासवान, गोतम कुमार, रनिया देवी, सपना देवी और उमेश पौदार सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे।
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