मधेपुरा के सुभाष चौक स्थित एक तिलकुट दुकान में मंगलवार देर शाम गैस लीकेज के कारण अचानक आग लग गई। इस हादसे में तिलकुट बनाने के काम में जुटे पांच कारीगर गंभीर रूप से झुलस गए। आग लगते ही इलाके में अफरा-तफरी मच गई और कुछ देर के लिए पूरा क्षेत्र दहशत में आ गया। हादसे की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुकान के अंदर मौजूद कारीगरों को संभलने तक का मौका नहीं मिल सका। तिलकुट बनाते समय हुआ हादसा प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, घटना के समय दुकान के अंदर तिलकुट बनाने का काम चल रहा था। कारीगर गैस चूल्हे पर तिलकुट पकाने में जुटे हुए थे। इसी दौरान अचानक गैस सिलेंडर से रिसाव होने लगा। किसी को कुछ समझ में आता, इससे पहले ही गैस ने आग पकड़ ली और देखते ही देखते दुकान के अंदर आग की लपटें उठने लगीं। बंद जगह होने के कारण आग तेजी से फैल गई और वहां काम कर रहे कारीगर उसकी चपेट में आ गए। पांच कारीगर झुलसे आग की चपेट में आकर पांच कारीगर गंभीर रूप से झुलस गए। घायलों की पहचान सोनू कुमार, मृत्युंजय कुमार, दीपक साह, अंजन कुमार और मुकेश साह के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि सभी घायल खगड़िया जिले के फनगो गांव के रहने वाले हैं और रोजी-रोटी के लिए मधेपुरा में तिलकुट बनाने का काम कर रहे थे। हादसे में किसी के हाथ झुलसे हैं तो किसी के चेहरे और शरीर के अन्य हिस्से गंभीर रूप से जल गए हैं। स्थानीय लोगों ने दिखाई तत्परता घटना के बाद आसपास के लोगों ने तत्परता दिखाते हुए आग बुझाने का प्रयास किया। किसी तरह दुकान के अंदर फंसे कारीगरों को बाहर निकाला गया। आग लगने की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में लोग मौके पर जुट गए। स्थानीय लोगों की सूझबूझ से आग को और फैलने से रोका जा सका, वरना हादसा और भी बड़ा हो सकता था। लोगों ने घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाने में भी मदद की। सदर अस्पताल से मेडिकल कॉलेज रेफर आनन-फानन में सभी झुलसे कारीगरों को मधेपुरा सदर अस्पताल लाया गया। यहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार किया, लेकिन घायलों की स्थिति गंभीर देखते हुए उन्हें जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया। मेडिकल कॉलेज में सभी घायलों का इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में चल रहा है। घायल के साथी ने बताई आपबीती घायल कारीगरों के साथी राजेश साह ने बताया कि वे सभी रोज की तरह तिलकुट बनाने का काम कर रहे थे। अचानक गैस से आग लग गई और कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला। आग इतनी तेज थी कि कुछ ही सेकेंड में सब कुछ जलने लगा। उन्होंने बताया कि कई कारीगरों के चेहरे और हाथ बुरी तरह झुलस गए। अगर समय पर लोग मदद के लिए नहीं आते तो जानमाल का नुकसान और भी ज्यादा हो सकता था। डॉक्टरों ने बताई स्थिति जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि सभी घायल कारीगर 40 से 50 प्रतिशत तक झुलसे हुए हैं। इनमें से तीन कारीगरों के चेहरे गंभीर रूप से झुलसे हैं, जबकि अन्य के हाथ और शरीर के अन्य हिस्से प्रभावित हुए हैं। डॉक्टर ने बताया कि फिलहाल सभी मरीज खतरे से बाहर हैं और उनका इलाज लगातार जारी है। डॉक्टरों की एक टीम उनकी स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है। सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल इस हादसे के बाद तिलकुट दुकानों और अन्य खाद्य सामग्री बनाने वाली छोटी इकाइयों में सुरक्षा इंतजामों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की दुकानों में गैस सिलेंडर और आग से जुड़ी सुरक्षा व्यवस्था की नियमित जांच होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके। प्रशासन से भी मांग की जा रही है कि वह इस मामले की जांच कराए और आवश्यक सुरक्षा निर्देश जारी करे। हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि छोटी-सी लापरवाही भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
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