मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने दावा किया कि कुछ शक्तिशाली समूह जानबूझकर राज्य में अवैध प्रवासियों की मूल समस्या से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
सिंह ने यह भी कहा कि राष्ट्र-विरोधी और राज्य-विरोधी तत्वों को घुसपैठियों से जुड़े असल मुद्दे से ध्यान भटकाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने शुक्रवार शाम ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘जब मैंने अपने नेतृत्व वाली राजग सरकार के दौरान पड़ोसी देश से आए अवैध प्रवासियों और शरणार्थियों की पहचान शुरू की, तो पड़ोसी राज्यों के नेताओं ने इसकी कड़ी आलोचना की।’’
सिंह ने कहा, ‘‘आज नगालैंड और मिजोरम सहित हर पड़ोसी राज्य ने आखिरकार स्थिति की गंभीरता को समझा है और सख्त कार्रवाई की है।’’
उनका यह बयान हाल ही में मीडिया में आई उन खबरों के बाद आया है जिनमें कहा गया था कि मिजोरम सरकार ने राज्य के 11 जिलों में शरण लिए हुए म्यांमा के 31,214 शरणार्थियों का 58.15 प्रतिशत बायोमेट्रिक नामांकन पूरा कर लिया है।
सिंह ने कहा कि मिजोरम अवैध प्रवासियों की पहचान करने में प्रभावशाली गति से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसकी सबसे पहले जिम्मेदारी लेने वाला राज्य मणिपुर जातीय हिंसा के नाम पर इस ज्वलंत मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।
उन्होंने दावा किया कि प्राथमिकता में यह बदलाव कोई संयोग नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ शक्तिशाली समूह जानबूझकर अवैध प्रवासियों की मूल समस्या से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि राज्य और केंद्र सरकार गौण मुद्दों में उलझकर मणिपुर के सामने मौजूद मुख्य खतरे को भूल जाएं।’’
सिंह ने राज्य और केंद्र सरकारों से ‘दृढ़ रहने’ और ‘अवैध प्रवासियों तथा शरणार्थियों का पता लगाने और उन्हें उनके मूल देशों में वापस भेजने’ की अपील की।
उन्होंने कहा कि जनता को यह जानने का हक है कि राज्य में अवैध प्रवासियों का कितना बायोमेट्रिक सत्यापन किया गया है।
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