मगध विश्वविद्यालय बोधगया में पुराने चेक पर फर्जी साइन कर 5.25 लाख की निकासी का मामला सामने आया है। आरोप है कि यूनिवर्सिटी के खाते से चेक के जरिए बड़ी रकम निकाली गई है। इस पूरे खेल में यूनिवर्सिटी बैंक शाखा के कुछ क्लर्क और अधिकारियों के साथ चेक राइटर समेत अन्य कर्मियों की मिलीभगत सामने आ रही है। खास बात यह कि इसका खुलासा एमयू के आंतरिक ऑडिट में हुआ है। सूत्रों कहना है कि परीक्षा विभाग और रजिस्ट्रेशन फंड की राशि पूरी तरह छात्रों की जमा पूंजी है। इस फंड का इस तरह इस्तेमाल करना न सिर्फ वित्तीय अपराध है। बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ खुला खिलवाड़ भी है। अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया कि निकाली गई राशि किस मद में खर्च दिखाई गई। कौन से बिल और वाउचर लगाए गए। पहले से कॉपी घोटाले में प्राथमिकी दर्ज भुगतान की स्वीकृति किस स्तर से मिली। कुलपति और कुलसचिव ने किस आदेश के तहत भुगतान की अनुमति दी। चेक राइटर के खिलाफ पहले भी मगध विश्वविद्यालय कॉपी घोटाले में प्राथमिकी दर्ज है। वह इस समय जमानत पर हैं। इसके बावजूद उन्हें संवेदनशील पद पर कैसे बनाए रखा गया, इसकी भी जांच की मांग की गई है। यूनिवर्सिटी के इंटरनल जांच में खुलासा खास बात यह कि विश्वविद्यालय की ओर एमयू थाने में केस कराया गया है। पुलिस मामले की जांच की जा रही है। कुलसचिव बीके मंगलम ने इस बात की पुष्टि की है कि यूनिवर्सिटी के चेक पर फर्जी हस्ताक्षर कर रुपए की निकासी की गई है। इस बात का खुलासा यूनिवर्सिटी के इंटरनल जांच में हुआ है। तत्काल प्रभाव से संबंधित थाने में केस दर्ज कराया गया है। कितने चेक पर फर्जी हस्ताक्षर कर निकासी की गई है। इस सवाल पर उन्होंने कहा कि कुल 7 चेक है। सभी चेक पुराने हैं। वे 2015 के पहले के चेक हैं। अंदरूनी जांच में यह भी सामने आया कि संबंधित चेक का कोई वाउचर ही नहीं है। पुलिस जांच कर रही है इस खेल में मुख्य आरोपी और उसके सहयोगी कौन हैं, इससे जुड़े सवाल पर कहा कि अब मामला पूरी तरह से पुलिस की जांच के अधीन है। ऐसे में हम इस मसले पर कुछ नहीं बोल सकते। एमयू की गरिमा के साथ खिलवाड़ करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। हर स्तर से सख्त कार्रवाई होगी।
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